Book Title: Yog Granth Vyakhya Sangraha
Author(s): Kirtiyashsuri
Publisher: Suri Ramchandra Shatabdi Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 37
________________ 28] [योगग्रन्थव्याख्यासंग्रहः नाम व्याख्या गाथा . // * // [ए] एकाग्रचित्तम् = अद्वेषादिगुणवतां नित्यं खेदादिषट्कपरिहारात् / / . सदृशप्रत्ययसंगतमेकाग्रं चित्तमामातम् // 7 // अध्या. 20/7 एषणासमितिः = अन्नपानरजोहरणपात्रचीवरादीनां धर्मसाधनानामाश्रयस्य चोद्गमोत्पादनैषणादोषवर्जनमेषणासमितिः / त.भा. 9/5 = द्विचत्वारिंशता भिक्षादोषैनित्यमदूषितम् / मुनिर्यदन्नमादत्ते सैषणा समितिर्मता // 38 // यो.शा. 1/38 [ऐ] ऐकान्तिकी = नियमेनाऽसिद्धिरूपपरिहारवती, * पातविकला / यो.बि. 235 ऐदंयुगीनमानवः = तथाविधपुरुषार्थसिद्ध्यर्थिनामपटुदृष्टिनामुन्नमितजिज्ञासाबुद्धिकन्धराः / पं. 1/1 ऐदम्पर्यम् = तात्पर्यम्, 11/9 * सर्वज्ञेयविषये सर्वज्ञाज्ञैव प्रधानं कारणमित्येवंरूपम् / षो.. 11/9 = तात्पर्यार्थः / उ.र. 155 [औ] औचित्यपालनम् = समुचिताचाररूपम् / यो.बि. 130 औचित्यप्रवृत्तिः = धर्मार्थादिगोचरन्याय्यप्रवृत्तिप्रधानत्वेन प्रवृत्तिः / द्वा. 18/27 औचित्यम् = सातत्यसत्काराविधिसेवितम् / पञ्च. औचित्ययोगः = देशकालपुरुषव्यवहाराद्यानुकूल्यम् / षो. 10/6 औत्पातिकीबुद्धिः = पुव्वमदिट्ठमसुयमवेइय तक्खणविसुद्धगहियत्था / अव्वाहयफलजोगी बुद्धि उत्पत्तिया नाम // 39 // उ.प. औत्सुक्यम् = अकाले फलवाञ्छा, 3/8 * तत्त्वतः आर्तध्यानरूपम् / षो. 3/8 = विषयाकाङ्क्षा / अ. 32/7 औदार्यम् = कार्पण्यस्य दानादिपरिणामसङ्कोचलक्षणस्य त्यागः / षो. 4/3 औदासीन्यम् = अरक्ताद्विष्टता / शा.वा. .. 149 औपचारिकम् ___ = उपचारमात्रोद्भवम् / यो.बि. 14 औपाधिकीसंज्ञा ___= उपाधिप्रवृत्तिनिमित्तिका संज्ञा / त.उ. 1/35 39

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150