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प्राचीन जैन इतिहास । ३९
५०००० पुष्पदंता आदि आर्यिका १००००० श्रावक
३००००० श्राविका (११) एक मास आयुमें वाकी रहने तक आपने आर्यखंडमें विहार किया । फिर दिव्य ध्वनिका होना बंद हुआ । आपने सम्मेदशिखर पर पधार कर आयुके अवशेष एक मासमें बाकीके चार कर्मों का नाश किया और फगुन वदी एकादशीको एक हजार साधुओं सहित मोक्ष पधारे । इन्द्रादि देवोंने आकर निर्वाण कल्याणकका उत्सव किया।
(नोट) पद्मपुराणकारने भगवान् मुनिसुव्रतकी माताका नाम पद्मावती लिखा है । हरिवंश पुराणमें भी यही नाम है ।
पाठ १९. चक्रवति हरिषेण ।
( दशवां चक्रवर्ति) (१) चक्रवर्ति हरिषेण तीसरे भवमें भगवान् अनंतनाथके तीर्थकालका एक बड़ा राजा हुआ था। पर उसका नाम व उसके राज्यका पता इतिहासमें नहीं है । वहांसे वह स्वर्ग गया और स्वर्गसे चय कर हरिषेण हुआ। हरिषेण भोगपुरके महाराज इक्ष्वा. कुवंशी राना पद्म नामका पुत्र था । हरिषेणकी माताका नाम ऐरादेवी था । हरिषेणकी आयु दश हजार वर्षकी थी । और शरीर वीस धनुष ऊंचा था। . .