Book Title: Prachin Jain Itihas Part 02
Author(s): Surajmal Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
View full book text
________________
प्राचीन जैन इतिहास । १२१ हालाहल, विद्याकौशिक, विद्याविख्याक, सर्पबाह, महाद्युति, शंख, प्रशंख, रानमित्र, अञ्जनप्रभ, पुष्प क्रूर, महारक्त, घटाश्र, पुष्पखेचर अनङ्गकुसुम, कामवर्त, स्मरायण, कामाग्नि, कामराशि, कनकप्रभ, शशिमुख, सौम्यवक्र, महाकाम, हेम गौर, कदम्ब, विटप, भीमनाद, भयानाद, शादूलसिंह, बलाङ्ग, विघुद ङ्ग, ल्हादन, चपल, चाल, चञ्चल, हस्त, प्रहस्त ।
(३९) रामकी सेनाके योद्धाओंके नाम इस प्रकार हैं:नयमित्र, चन्द्रप्रभ. रतिंबईन, कुमुदावर्त, महेन्द्र, भभ्रमण्डल, अनुधर, दृढ़रथ, प्रोतिकण्ठ, महाबल, समुन्नतबल, सर्वज्योति, सर्वप्रिय बल, सवसा, सर्व, शरमभट, आभ्रष्टि, निविष्ठ, सन्त्रास, विघ्न, सूदन, नाट, वखर, कलोट, पालन, मण्डल, सङ्ग्राम, चपल, प्रस्तार, हिमवान् , गङ्गप्रिय, लव, दुप्रेष्ट, पूर्णचन्द्र, विधिसागर, घोष, प्रियविग्रह, स्कन्ध, चन्दन, पादप, चन्द्रकिरण, प्रतिधान, महाभैख, कीर्तन, दुष्टसिंह, कुष्टसमाधि, बहुल, हल, इन्द्रायुध, गतत्रास, सङ्कटपहार, विद्युत्कर्ण, बलशील, सुयज्ञ, रचनधन, सम्मेद, विचल, साल. काल, क्षत्रवर, अङ्गन, विकाल, लाल, ककालो, मङ्ग, भङ्गोभिः, उरचित, उतरंग, तिलक, कील, मुषेण, चाल, करन, वली, भीमरव, धर्म, मनोहर, मुख, सुख, कमनसार, रत्ननटी, शिवभूषण, दूषणकाल, विघट, विराधित, मनूरण, रण'निक्षेम, वेला, आक्षेयी, महाधर, नक्षत्र, लुब्ध, संग्राम, विनय, जय, नक्षत्रभाल, क्षोद, अतिविजय, विद्युद्वाह, मरुद्वाह, स्थाणु, मेघवाहन, रवियाण, प्रचण्डालि, युद्धावर्त, वसन्त, कान्त, कौमुदि

Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182