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प्रस्तावना
प्रस्तुत प्रबंध की प्रस्तावना के लिए शासन प्रभावक पू.आ.भ. श्री अभयशेखर सू. जी महाराजा को विज्ञप्ति की थी । किन्तु शासन प्रभावना के कार्यों की अत्यंत व्यस्तता के कारण पूज्यश्री प्रस्तावना नहीं लिख पाए । तथापि पूज्यश्री का गुर्जर काव्यात्मक पत्र अतीव उत्साहवर्धक मेहसूस हुआ । वह पत्र का पूर्व में यथावत् प्रकाशन किया है ।
पू. सा. श्री सूर्यप्रभाश्री जी की विदुषी प्रशिष्याऐं सा. श्री नयनिपुणाश्री जी एवं सा. श्री शीलभद्राश्री जी, तथा सा. श्री योगिरत्नाश्री जी ने Proof reading करके सराहनीय सहयोग दिया है ।
प्रान्ते
प्रस्तुत प्रबंध में क्षति शक्य है ।
'आरोहणे हिमाद्रेः किं न क्वचित् स्खलनं शिशोः ?”
एक छोटे से बालक के लिए हिमालय - गिरिराज का आरोहण सरल है क्या ? आरोहण में कभी बालक स्खलित नहीं हो सकता क्या ?
ग्रंथ निर्माण में जिनाज्ञा विरुद्ध आलेखन हुआ हो तो त्रिविध
क्षमायाचना ।
पुनश्च
परमात्मा एवं पूज्यपादश्री की अपरंपार कृपा से प्रभुभक्ति के ऐसे ही आलम्बनों की मुझे सतत उपलब्धि हो यही मनोकामना ।
ને રાખસુંવર વિ.
अषाढ़ श्यामा त्रयोदशी, वि.सं. २०६६
(पूज्यपादश्री की सातवीं मासिक पुण्यतिथि)
८- ८-१०, रविवार
सत्यपुर तीर्थ
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