Book Title: Acharanga Stram Part 01
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 119
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आचा० ॥१२१॥ www.kobatirth.org raja gramini प्रथम गणाय के कारण के घरनो आश्रय करे तो घर संबंधी पाप कृत्य करवां पढे अने मुनि सो निर्देप अनुष्ठान करवावाळा होय छे ते बतावे छे. ऋजु ते अकुटिल संयम एटले मनवचन कायानी खराब चेष्टानो निरोध करीने सर्व | माणीना रक्षण माटे प्रवृत्ति करवाथी दयानुं एक रुपज छे अने वधी जगाए तेनी 'अकुटिल' (सरळ) गति छे अथवा मोक्ष स्थानयां गमन करवा सरळ श्रेणी जे ऋजु श्रेणी गति कहेवाय छे ते मेळववा सर्व प्रकारे संवरवाद संयम पाळवाथी मोक्ष मळे. | अहीं कारणमा कार्यनो उपचार करीने संयम से सत्तर प्रकारनो बतावेलो सरळ साधु मार्ग तेने करे (आराधे) ते ऋजुकारी छे, एनाथी एम सूचयुं के संपूर्ण संयम अनुष्ठान करनार संपूर्ण अणगार छे आवो मुनि शुं फळ पाये से बतावे छे. यजन ते याग, नियित एटले निश्चित ए वे मळीने नियाग एटले मोक्ष मार्ग, अहींआ संगत अर्थपणाथी धातुओनुं सम्यग् ज्ञान दर्शन चारित्ररूप पणे संगत छे. ते नियाग सम्यग् दर्शन ज्ञान चारित्र्यरुप मोक्ष मार्ग छे तेने स्वीकारेलो ते नियाग प्रतिपत्र जाणवो. पाठान्तरमां निकाय प्रतिपन्न छे. एटले निर्गत काय ते आदारिक विगेरे शरीर जेनाथी अथवा जेमां छे, ते निकाय तेने पामेली तेनुं कारण सम्यग्दर्शन विगेरे पोतानी शक्ति प्रमाणे अनुष्ठान करवाथी अने निष्कपटपणे आचरवाथी ते अमायावी थाय छे ते बतावे छे, अहिं माया एटले बधां धर्म कार्यमां पोताना वीर्यने, उपयोगमां न लेते; तेथी एम सुबह के अमायावी एटले उपर कहेला वीर्य ने उपयोगमा ले ते अने अगूहित, बल, वीर्य एटले संयूम अनुष्ठानमां पराक्रम बताबनारों अणगार कलो. आ वचनथी तेना संबंधी बघा कषायोनो पण अपगम (दूर कर) जाणवो. For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रम ॥१२१॥

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