Book Title: Acharanga Stram Part 01
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 194
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आचा० ॥ २००॥ www.kobatirth.org arnलिक बात, मंडलिक बात, गुजा बात, अने शुद्ध बारा, एम वादस्वायु पांच मकारे वर्णवेल छे. तेमां रहि रहने मोजां इसानी ] पेठे जे बाय, ते उत्कलिकवा टोळीआनो जे वायु ते मंडलिक वायुः नगारानी माफक अवाज करता करतां जे वाय ते गुंजात्रा - अत्यंत घाटो पृथिवी विगेरेना आधारपणाथी बरफना जथ्यानी माफक जे रहेल हे ते घनवायु धीरे धीरे शीत काल विरेमा जे मन्द मन्द वायु आवे ते शुद्धवायु कहेवाय, अने जे बीना प्रज्ञापनादि सूत्रमां उगवणी विगेरे दिशाओना जे वा यु कहेला छे. तेओना आमांन समावेश थइ जाय ले एम जाणधुं ए प्रमाणे आ बादश्वायुना पांच प्रकारना मेदो वर्णव्या. हवेलक्षणद्वार कहे छे. जह देवरस सरीरं, अंतद्वाणं व अंजणाईतुं । एओत्रम आएसो वाऽसंतेऽवि रूमि ॥ १६७ ॥ जेम देवनुं शरीर आंखोथी देखतुं नथी छतो, पण छे, अने सचेतन छे, एम मनाय छे, देवो पोतानी शक्तिवडे ते रूप करे छे, के आंखोथी देखी शकातुं नथी तेथी आपणे एम नथी कही शकता के ते नथी अथवा अचेतन छे तेवीजरीते वायु पण चधुनो विषय थतो नथी तो पण वायु छे अने चेतन छे. अथवा बीना दृष्टांतयां जेम लोप धनुं विगेरे विद्या मंत्रथी तथा अंजनथी | मनुष्ध पण अद्रश्य थाय छे पण तेथी मनुष्यने नास्तिपणुं तथा अचेतनपणुं न कहेवाय. एवी उपमा बायुमां पण रूप नथी छतां पाय छे अहिं असत् शब्द अभाव कहेनार नथी पण वायुनुं असद्रूप छे, एटले तेनुं रूप चक्षुयी ग्रहण थह शकतुं नथी, करण के ते परमाणुनी माफक सूक्ष्म परिमाणवाळो छे, वायु, रुप, रस, स्पर्श, गुणवाळो छे, एम मानतुं छे, पण जेम 'बीजाओना मतमां वायु For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रम ॥२०० ॥

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