Book Title: Tandul Vaicharik Prakirnakam
Author(s): Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 133
________________ १२८ ] तन्दुलगैचारिकप्रकोर्णकम् ठाणभट्ठो विव इस्सरो अप्पसंसणिज्जाओ ५२ किंपाग. फलमिव मुहमहुराओ ५३ रित्तमुट्ठी विव बाललोभणिज्जाओ५४ मंसपेसीगहणमिव सोवद्दवाओ ५५ जलियचुडिलो विव अमुच्चमाणदहणसीलाओ ५६ अरिहमिव दुल्लंघणिज्जाओ ५७ कूडकरिसावणो विव कालविसंवायणसीलाओ ५८ चंडसीलो विव दुक्खरक्खियाओ ५९ अइविसाओ ६० । दुगुछियाओ ६१ दुरुवचाराओ ६२ अगंभीराओ ६३ अविस्ससणिजाओ ६४ अणवत्थियाओ ६५ दुक्खरक्खियाओ ६६ दुक्खपालियाओ ६७ अरइकराओ ६८ कक्कसाओ ६९ दढवेराओ ७. स्वसोहग्गमओमत्ताओ ७१ भुयगगइकुडिलहिययाओ ७२ कंतारगइट्ठाणभूयाओ ७३ कुलसयणमित्तभेयणकारिकाओ ७४ परदोसपरगासियाओ ७५ कयग्याओ ७६ बलसोहियाओ ७७ एगंतहरणकोलाओ ७८ चंचलाओ ७९ जोह (जाइय) (जच) भंडोवरागो विव मुहरागविरागाओ ८० । अवियाइं ताओ अंतरं गभंगसय ८१ अरज्जुओ पासो ८२ अदारुया अडवी ८३ अणालस्स निलओ ८४ अगइक्खा वेयरणी ८५ अणामिओ वाही ८६ अविओगो विप्पलाओ ८७ अरु उवसगो ८८ रहवंतो

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