Book Title: Apbhramsa Pathavali
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Gujarat Varnacular Society

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Page 304
________________ बा अन्य छे, रायचन्द्र जैन शास्त्रमालाना एक मणका तरीके से इ. स. ११६ मां प्रसिद्ध करवामां आम्यो हतो; परन्तु एक तो अपनं शभाषाना एक अमोल रत्न तरीके नहि पण एक धर्मप्रन्थ तरीके अने ते य हिंदीमा प्रसिद्ध करवामां आवेलो होई, तेना तरफ कोइ विद्वाननुं ध्यान गएलं नहि. प्रो.याकोबी तेमनी इ.स १९१८ मां प्रसिद्ध थएल भविसयत्तकहामा जोइन्दुनो उल्लेख करता नथी; तेम ज प्रो. गुणे भ. क. नी तेमनी १९२३ नी आवृत्तिमां पण जोइन्दुनो उल्लेख करता नथी. इ. स. १९२७मां जिनदत्तसूरिनां त्रण अपभ्रंश काव्यो (अपभ्रं. शकाव्यत्रयी G.O. S: XXXV.) ना संपादनमा प्रथम वार जोइन्दुनो उल्लेख करी, परमात्मप्रकाशना केटलाक दुहा टांकी, चण्ड अने हेमचन्द्रना प्राकृत. व्याकरणमा उदाहरण तरीके आवेला केटलाक दुहा साथे साम्य बतावी, जोइन्दुने चंडथी प्राचीनतर ठराववा, ते प्रन्थना विद्वान सम्पादक पं लालचंद्र भगवानदास गांधी यत्न करे छे. (जुओ अ. का. त्र. नी संस्कृत भूमिका पान. १०२-१०३). भा ज अभिप्रायनुं समर्थन श्री उपाध्ये — Joindu and his Apabhramsa works.' नामे लेखमा सविस्तर करे छे. प्रस्तुत लेख सने १९३१मां Annals of the Bhandarkar Oriental Research Institutet प्रसिद्ध थयो हतो. ते लेखमां तेमणे जोइन्दुना बीजा प्रन्थोनो पण उल्लेख कयों छे, जेवा के योगसार ( माणिकचन्द्र दिगम्बर ग्रंथमाला नं. ५१. पा. ५५-७४.) सावयधम्मदोहा, पाहुडदोहा . छेल्ला घे प्रन्थोनुं विवेचन भाठमा नवमा उद्धरणमा करवामां आवशे. " पं. लालचन्द्र भने श्री, उपाध्येनो आधार:- : कालु लहेविणु जोइया जिमु जिमु मोहु गलेइ ... तिमु तिमु दसणु लहइ जिउ किंगमें अप्पु मुणेइ ॥ मूळ दोहा ८६. सदर उद्धरण. ३०. भा दुहो यथा तथा अनयोः स्थाने जिमतिमौ ॥ ए सूत्रना उदाहरण तरीके चण्डना प्राकृतलक्षण ( Ed. Hoernle P. 37. ) मां टांकेलो छे. चण्डने छठा सैका पछीनों ज गणी शकाय, कारण के अपभ्रंश साहित्यभाषा बने त्यार पछी ज सामान्यतः तेनी सूत्ररचना थाय. ( भ क. Intro. P. 63. Gune ) ( Pischel:G. P. Ein. $. 35 ) (चण्ड, हेमचन्द्रनो पुरोगामी छे ए विधान : माटे सर्वे विद्वान संमत छे. ). एटळे जो चण्डने छठा, सातमा सैकानो गाणीप तो;

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