Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyan mandir देवाणुप्पियाणं एवं जहा मेहे जाव अणगारे जाते जाव इणमेव णिग्गंथं पावयणं पुरओ का विहरति, तते णं से गोयमे अन्नदा/ कयाई अरहतो अस्टिनेमिस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई अहिज्जति त्ता बहूहिं चउत्थ् जाव भावेमाणे विहरति, तते णं अरिहा अरिहनेभी अन्नदा कदाई बारवतीतो नंदणवणातो पडिनिक्खमति बहिया जणवयविहारं विहरति, तते णं से गोयमे अणगारे अन्नदा कदाई जेणेव अहा अरिहनेमी तेणेव उवा० त्ता अहं अरिष्टनेमि तिक्खुत्तो आदा0 पदा0 एवं व० इच्छामि णं भंते! तुब्मेहिं अब्भणुण्णाते समाणे मासियं भिक्खुपडिम् उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, एवं जहा खंदतो तहा बारस मिक्खुपडिमातो फासेति त्ता गुणरयणंपि तवोकम्म तहेव फासेति निरवसेसं जहा खंदतो तहा चिंतेति तहा आपुच्छति तहा थेरेहिं सद्धि सेत्तुजं दुरुहति मासियाए संलेहणाए बारस वरिसाइं परिता जाव सिद्धे० ।1 एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं पढमवग्गपढमअज्झयणस्स अयमद्वे पं०, एवं जहा गोयमो तहा सेसा वण्ही पिया धारिणी माता समुद्दे सागरे गंभीर थिमिए अयले कंपिल्ले अक्खोभे पसेणती विण्हुए एए, एगगमो पढमो वग्गो दस अज्झयणा । २ । जति दोच्चस्स वग्गस्स उक्खेवतो तेणं कालेणं0 बारवतीते णगरीए बण्ही पिया धारिणी माता -'अक्खोभ सागरे खलु समुह हिमवंत अचलनामे योधरणे य पूरणेवि य अभिचंदे चेव अट्ठमते ॥३॥ जहा पढमो वग्गो तहा सव्वे अढ अझयणा गुणस्यणतवाकम्भ सोलस वासाइं परियाओ सेत्तुझे मासियाए संलेहणाए सिद्धी । जति तच्चस्स उक्खेवतो, एवं खलु जंबू ! तच्चस्स ग्गस्स ॥ श्रीभदन्तकृद्दशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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