Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmaydir | चेतिते, तत्थ णं वाणारसीइ अलक्खे णाभं राया होत्या, तेणं कालेणं० समणे जाव विहरति परिसा०, तते णं अलक्खे राया इभीसे कहाते लद्धडे हट्ठ जहा कूणिए जाव पज्जुवासति धमकहा, त० से अलक्खे राया सभणस्स भगवओ महावीरस्स जहा उदायणे तह। णिक्खंते णवरं जेट्टपुत्तं रज्जे अहिसिंचति एक्कारस अंगा बहू वासा परियाओ जाव विपुले सिद्धे, अ० १६॥ एवं खलु जंबू! सभणेणं जाव छट्ठस्स वग्गस्स अयमद्वे पनत्ते ॥१५॥ वग्गो ६॥ जति णं भंते ! सत्तमस्स वग्गस्स उक्खेवओ जाव तेरस अझ्या पं०-'नंदा तह नंदमती नंदोत्तर नंदसेणिया चेवा महया सुभरुत महमरुय, मादेवा य अट्ठमा ॥८॥ भद्दा य सुभद्दा य, सुजाता सुमणातिया। भूयदित्ता य बोद्धव्वा, सेणियभजाण नामाई ॥९॥ जई णं भंते!० तेरस अज्झयणा पत्रत्ता पढमस्स णं भंते! अज्झ्य णस्स समणेणं० के अद्वे पन्नत्ते?, एवं खलु जंबू! तेणं का० रायगिहे नगरे गुणसिलते चेतिते सेणिते राया वन्नतो, तस्स णं सेणियस्सरण्णो नंदा नाम देवी होत्था वन्नओ, सामी समोसढे परिसा निग्गता, तते णं सा नंदादेवी इभीसे कहाते लद्धट्ठा कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति त्ता जाणं जहा पउमावती जाव एक्कारस अंगाई अहियणा पं० ०-'काली सुकाली महाकाली कण्हा सुकण्हा महाकण्हा। वीरकण्हा य बोद्धव्वा, रामकण्हा तहेव य ॥१०॥ पिउसेणकण्हा नवमी दसभी महासेणकण्हा य॥ जति० दस अज्झयणा० पढमस्स अज्झयणस्स के अटे पं० ?, एवं खलु जंबू! तेणं का० चंपा नाम नगरी होत्था पुनभद्दे चेतिते, तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिए राया वण्णतो, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रनो भजा कोणियस्स रपणो चुल्लमाउया काली |॥ श्रीभदन्तकृद्दशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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