Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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मालागारे कालं पभूयतराएहिं पुष्फेहिं कज्जभितिकट्ट पच्चूसकालसमयंसि बंधुभतीते भारियाते सद्धि पच्छियपिडयातिं गेण्हति ना सयातो गिहातो पडिनिक्खमति त्ता रायगिहं नगरं मझमझेणं णिग्गच्छति त्ता जेणेव पुण्फारामे तेणेव उवा० त्ता बंधुमतीते भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करेति, त० तीसे ललियाते गोहीते छ गोहिला पुरिसा जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागता त्ता अभिरममाणा चिटुंति. त० से अजुणते मालागारे बंधुमतीए भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करेति अगातिं वरातिं पुष्फातिं गहाय जेणेव भोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छति, तते णं छ गोहिल्ला पुरिसा अज्जुणयं माला बंधुभतीए भारियाए सद्धि एज्जमाणं पासंति त्ता अन्नमन्नं एवं व०-एसणं देवाणु० ! अज्जुणते मालागारे बंधुभतीते भारियाते सद्धिं इहं हव्वमागच्छति
सेयं खलु देवाणु०! अहं अज्जुणयं मालागारं अवओडयबंधणयं करेत्ता बंधुमतीते भारियाए सद्धि विपुलाई भोगभोगाई भुंजमाणाणं विहरित्तएत्तिकट्ट एयमढे अन्नमन्नस्स पडिसुणेति त्ता कवाडंरेसु निलुकंति निच्चला निष्फंदा तुसिणीया पच्छण्णा चिटुंति, त० से अज्जुणते मालागारे बंधुभतीभारियाते सद्धि जेणेव भोग्गरपाणिजक्खाययणे तेणेव उवा० त्ता आलोए पणामं करेति महारिहं पुष्पच्च्णं करेति जनुपयपडिए पणामं करेति, तते णं ते छ गोटे॥ पुरिसा दवदवस कवाडंतरेहितो जिग्गच्छंति ना अज्जुणयं मालागारं गेण्हति त्ता अवओडगबंधणं करेंति. बंधुमतीए मालागारीए सद्धि विपुलाई भोग० भुंजमा विहरंति, त० तस्स अज्जुणयस्स मालागारस्स अयमज्झथिए०-एवं खलु अहं बालप्पभितिं चेव मोग्गरपाणिस्स भगवओ कलाकलिं जाव कप्पेमाणे विहरामि, तं ॥ श्रीभदन्तकृद्दशाङ्गम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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