Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 गरीबी वाला, उपार्जित धन से क्षीण-गरीब, पहले और बाद में भी दान अथवा बाह्य वृत्ति से दीन और अंतर्वृत्ति से दीन इत्यादि रूप से चौभंगी जानना। प्रस्तुत सूत्र में दीन शब्द की १७ चौभंगियां कही गई है जिसका वर्णन भावार्थ से स्पष्ट है।
- आर्य और अनार्य चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा - अज्जे णाममेगे अज्जे । चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा - अज्जे णाममेगे अज्जपरिणए । एवं अग्जरूवे, अज्जमणे, अजसंकप्पे, अग्जपण्णे, अज्जदिट्ठी, अज्जसीलायारे, अज्जववहारे, अज्जपरक्कमे, अज्जवित्ती, अज्जजाई, अज्जभासी, अज्जओभासी, अज्जसेवी, अज्जपरियाए, अज्जपरियाले । एवं सत्तर आलावगा जहा दीणेणं भणिया तहा अजेण वि भाणियव्या। चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा - अज्जे णाममेगे अज्जभावे, अज्जे णाममेगे अणज्जभावे, अणजे णाममेगे अज्जभावे, अणजे णाममेगे अणज्जभावे॥१४६॥
कठिन शब्दार्थ - अज्जे - आर्य, अज्जभावे - आर्य भाव वाला, अणज्ज भावे - अनार्य भाव वाला।
भावार्थ - चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष जाति आदि से आर्य और आर्य यानी धर्माचरण करने वाला। कोई एक पुरुष जाति आदि से आर्य किन्तु पापाचरण करने वाला.. . कोई एक पुरुष जाति आदि से अनार्य किन्तु धर्माचरण करने वाला । कोई एक पुरुष जाति आदि से अनार्य और पापाचरण करने वाला । चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष आर्य और स्वभाव से भी आर्य । इसी प्रकार आर्य रूप वाला, आर्य मन वाला, आर्य विचार वाला, आर्य बुद्धि पाला, आर्य दृष्टि वाला, आर्य शील आचार वाला, आर्य व्यवहार करने वाला, आर्य पराक्रम करने वाला, आर्य आजीविका करने वाला, आर्य जाति वाला, आर्य भाषा बोलने वाला, आर्य के समान दिखाई देने वाला, आर्य की सेवा करने वाला, आर्य पर्याय वाला और आर्य परिवार वाला । इस प्रकार जैसे दीन शब्द पर सतरह आलापक यानी चौभङ्गियां कही गयी थी वैसे ही आर्य शब्द पर भी सतरह चौभङ्गियाँ कह देनी चाहिए । चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा - कोई एक पुरुष जाति आदि से आर्य और आर्य भाव वाला यानी क्षायिकादि ज्ञान युक्त । कोई एक पुरुष जाति आदि से आर्य किन्तु अनार्य भाव वाला यानी क्रोधादि वाला । कोई एक पुरुष जाति आदि से अनार्य किन्तु आर्य भावों वाला । कोई एक पुरुष जाति आदि से अनार्य और भावों से भी अनार्य ।
विवेचन - आर्य के नौ भेद हैं - जाति आर्य, क्षेत्र आर्य, कुल आर्य, शिल्प आर्य, कर्म आर्य, भाषा आर्य, ज्ञान आर्य, दर्शन आर्य और चारित्र आर्य। प्रज्ञापना सूत्र के प्रथम पद में इसका विशेष वर्णन
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