Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान ४ उद्देशक ४
४३१.
गंभीरोदए, गंभीरे णाममेगे उत्ताणोदए, गंभीरे णाममेगे गंभीरोदए । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा - उत्ताणे णाममेगे उत्ताणहियए, उत्ताणे णाममेगे गंभीरहियए, गंभीरे णाममेगे उत्ताण हियए, गंभीरे णाममेगे गंभीरहियए । चत्तारि उदगा पण्णत्ता तंजहा - उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी, उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी, गंभीरे णाममेगे उत्ताणोभासी, गंभीर णाममेगे गंभीरोभासी । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा - उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी, उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी, गंभीरे णाममेगे उत्ताणोभासी, गंभीरे णाममेगे गंभीरोभासी । चत्तारि उदही पण्णत्ता तंजहा - उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदही, उत्ताणे णाममेगे, गंभीरोदही, गंभीरे णाममेगे . उत्ताणोदही, गंभीरे णाममेगे, गंभीरोदही । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा- उत्ताणे णाममेगे उत्ताणहियए, उत्ताणे णाममेगे गंभीरहियए, गंभीरे णाममेगे उत्ताणहियए, गंभीरे.णाममेगे गंभीरहियए । चत्तारि उदही पण्णत्ता तंजहा - उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी, उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी, गंभीरे णाममेगे उत्ताणोभासी, गंभीरे णाममेगे गंभीरोभासी । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तंजहा - उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी, उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी, गंभीरे णाममेगे उत्ताणोभासी, गंभीरे णाममेगे गंभीरोभासी॥१९७॥
कठिन शब्दार्थ - उत्ताणे - उत्तान तल (तुच्छ), गंभीरे - गम्भीर, उत्ताणोभासी - तल (पीन्दा) दिखाई देने वाला, गंभीरोभासी - गम्भीर दिखाई देने वाला, उदही - उदधि-समुद्र, उत्ताणहियए - उत्तान हृदय-तुच्छ हृदय वाला, गंभीरहियए - गंभीर हृदय-गम्भीर हृदय वाला।
भावार्थ - चार प्रकार के जल कहे गये हैं यथा - कोई एक जल उत्तान यानी तुच्छ है और तुच्छ दिखाई देता है अर्थात् थोड़ा पानी होने से जिसका तल दिखाई देता है। कोई एक जल तुच्छ है किन्तु गम्भीर दिखाई देता है। कोई एक जल गम्भीर है किन्तु.तुच्छ दिखाई देता है। कोई एक पानी गम्भीर है और गम्भीर ही दिखाई देता है। इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं यथा-कोई एक पुरुष दीनता आदि के कारण तुच्छ है और तुच्छ हृदय वाला है। कोई एक पुरुष दीनता आदि के कारण तुच्छ है किन्तु गम्भीर हृदय वाला है। कोई एक पुरुष गम्भीर है किन्तु तुच्छ हृदय वाला है। कोई एक पुरुष गम्भीर है और उत्तान हृदय यानी तुच्छ हृदय वाला है। चार प्रकार के जल कहे गये हैं यथा-कोई एक जल तुच्छ है और तुच्छ ही दिखाई देता है। कोई एक जल तुच्छ है किन्तु गम्भीर दिखाई देता है। कोई एक जल गम्भीर है किन्तु तुच्छ दिखई देता है। कोई एक जल गम्भीर है और गम्भीर ही दिखाई देता है,
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