Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान ४ उद्देशक २
३४३ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 हुई वेला को नाग कुमार जाति के ४२ हजार देवता अटकाते हैं और बाहर की वेला को अर्थात् धातकी खण्ड द्वीप के सम्मुख जाती हुई वेला को ७२ हजार देवता अटकाते हैं साठ हजार नागकुमार देवता समुद्र की शिखा के अग्रभाग के पानी को धारण करते है अर्थात् उससे ऊपर वृद्धि पाते हुए जल को अटकाते हैं। लवण समुद्र के चारों दिशों में वेलंधर देवों के रहने के चार आवास हैं।
लवण समुद्र में चार चन्द्रों और चार सूर्यों की संख्या होने से उनके परिवार भूत अट्ठाईस नक्षत्र भी चार-चार है शेष वर्णन दूसरे स्थानक में जंबूद्वीप के द्वार आदि की तरह समुद्र के द्वार आदि जानना चाहिए। चक्रवाल-वलय का विस्तार, जंबूद्वीप के बाहर चारों ओर घातकीखण्ड द्वीप और अद्धपुष्करवर द्वीप में चार भरत और चार ऐरवत क्षेत्र हैं। शब्द से ज्ञात उद्देशक शब्दोद्देशक अर्थात् दूसरे स्थान के तीसरे उद्देशक की तरह संपूर्ण वर्णन जानना चाहिए किन्तु विशेषता यह है कि वहाँ दूसरा स्थान होने से दो भरत आदि कहे गये हैं जब कि यहाँ चौथा स्थानक होने से चार भरत आदि का कथन किया गया है।
नन्दीश्वर द्वीप, अंजनक पर्वत वर्णन णंदीसरवरस्स णं दीवस्स चक्कवालविक्खंभस्स बहुमझदेसभाए चउद्दिसिं चत्तारि अंजणगपव्वया पण्णत्ता तंजहा - पुरच्छिमिल्ले, अंजणगपव्वए, दाहिणिल्ले, अंजणगपव्वए, पच्चत्थिमिल्ले अंजणगपव्वए, उत्तरिल्ले अंजणगपव्वए । ते णं अंजणगपव्वया चउरासीइ जोयणसहस्साइं उड्ड उच्चत्तेणं एगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं । तयाणंतरं च णं मायाए मायाए परिहाएमाणे परिहाएमाणे उवरिमेगं जोयणसहस्सं विक्खंभेणं पण्णत्ते । मूले इक्कतीसं जोयणसहस्साई छच्च तेवीसे जोयणसए परिक्खेवेणं उवरि तिण्णि तिण्णि जोयणसहस्साई एगं च छावटुं जोयणसयं परिक्खेवेणं, मूले विच्छिण्णा माझे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छ संठाणसंठिया सव्व अंजणमया अच्छा सहा लण्हा घट्ठा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिक्कंकडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणीया अभिरूवा पडिरूवा । तेसि णं अंजणगपव्वयाणं उवरि बहुसमरमणिज भूमिभागा पण्णत्ता । तेसि णं बहुसमरमणिज भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए चत्तारि सिद्धाययणा पण्णत्ता । ते णं सिद्धाययणा एगं जोयणसयं आयामेणं पण्णत्ता पण्णासं जोयणाई विक्खंभेणं बावत्तरि जोयणाइं उड्डे उच्चत्तेणं तेसि णं सिद्धाययणाणं चउद्दिसिं चत्तारि दारा पण्णत्ता तंजहा - देवदारे, असुरदारे, णागदारे सुवण्णदारे ।
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