Book Title: Sthananga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 बार शत्रुसेना से पराजित हो जाती है किन्तु दुबारा उसे जीत लेती हैं । कोई सेना पहले भी शत्रुसेना से पराजित होती है और फिर भी शत्रुसेना से पराजित होती है । इसी तरह चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं। यथा - कोई साधु पहले भी परीषहों को जीतता है और फिर भी परीषहों को जीतता है, कोई साधु पहले तो परीषहों को जीतता है किन्तु फिर परीषहों से पराजित हो जाता है । कोई साधु पहले तो परीषहों से पराजित हो जाता है किन्तु पीछे परीषहों को जीत लेता है, कोई साधु पहले भी परीषहों से पराजित हो जाता है और पीछे भी परीषहों से पराजित हो जाता है ।
चार प्रकार के कषाय और उनकी उपमाएँ। चत्तारि राईओ पण्णत्ताओ तंजहा - पव्वय राई, पुढवि राई, वालुय राई, उदग राई । एवामेव चउविहे कोहे पण्णत्ते तंजहा - पव्वयराइ समाणे, पुढविराइ समाणे, वालुयराइ समाणे, उदगराइ समाणे । पव्वयराइ समाणं कोहमणुप्पविटे जीवे कालं करेइ, जेरइएस उववज्जइ, पुढविराइ समाणं कोहमणुप्पविढे जीवे कालं करेइ, तिरिक्खजोणिएसु उववज्जइ, वालुयराइ समाणं कोहमणुप्पविढे जीवे कालं करेइ, मणुस्सेसु उववज्जइ, उदगराइ समाणं कोहमणुप्पविट्टे जीवे कालं करेइ देवेसु उववज्जइ। चत्तारि थंभा पण्णत्ता तंजहा - सेलथंभे, अट्ठिथंभे, दारुथंभे, तिणिसलयाथंभे । एवामेव चउव्विहे माणे पण्णत्ते तंजहा - सेलथंभ समाणे, अट्ठिथंभ समाणे, दारुथंभ समाणे, तिणिसलयाथंभ समाणे । सेलथंभे समाणं माणमणुप्पविढे जीवे कालं करेइ णेरइएसु उववज्जइ, अट्ठिथंभ समाणं माणमणुप्पविढे जीवे कालं करेइ तिरिक्खजोणिएसु उववज्जइ, दारुथंभ समाणं माणमणुप्पविढे जीवे कालं करेइ मणुस्सेसु उववज्जइ, तिणिसलयाथंभ समाणं माणमणुप्पविद्वे जीवे कालं करेइ देवेसु उववज्जइ। __चत्तारि केयणा पण्णत्ता तंजहा - वंसीमूलकेयणए, मेंढविसाणकेयणए, गोमुत्तिकेयणए, अवलेहणियकेयणए । एवामेव चउव्विहा माया पण्णत्ता तंजहा - वंसीमूल-केयण समाणा, मेंढविसाण-केयण समाणा, गोमुत्ति-केयणसमाणा, अवलेहणिय-केयण समाणा । वंसीमूलकेयण समाणं मायमणुप्पविढे जीवे कालं करेइ णेरइएसु उववज्जइ, मेंढविसाणकेयण समाणं मायमणुप्पविढे जीवे कालं करेइ तिरिक्खजोणिएस उववज्जइ, गोमुत्तिकेयण समाणं मायमणुप्पविद्वे जीवे कालं करेइ मणुस्सेसु उववज्जइ, अवलेहणियकेयण समाणं मायमणुप्पविढे जीवे कालं करेइ देवेसु उववज्जइ।
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