Book Title: Vijay Vvallabhsuri Smarak Granth
Author(s): Mahavir Jain Vidyalaya Mumbai
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 9
________________ आचार्य विजयवल्लभसूरि स्मारक ग्रंथ व्यक्तित्वथी हुं अंगत रीते संपूर्णपणे परिचित होई, खातरीथी कही शकुं छु के ए बधाय संपादको सुयोग्य संपादको छे. आवी व्यक्तिओनी कीमती सेवा मेळववा माटे स्मारक ग्रंथना योजको खरेखर ज भाग्यशाळी छे एम कहेवामां हुं जराये अतिशयोक्ति नथी करतो. स्मारक ग्रंथ माटे माननीय लेखकोए सामग्री पण ठीक ठीक पूरी पाडी छे.त्रणे विभागमांनी लेखसामग्री बे विभागमां वहेंचायेली छे. पहेला विभागमा पूज्यपाद आचार्यमहाराजश्रीना जीवनप्रवाहने स्पर्शता लेखो अने कविताओनो संग्रह छे. बीजा विभागमा विद्वद्भोग्य विपुल साहित्यसामग्री छे. आ विभागमा अहिंसा, अनेकांतवाद, कर्मवाद अने योग जेवा तात्त्विक लेखो आवेल छे. शिक्षण अने भाषासाहित्य विषयक लेखो पण छे. शिल्प, स्थापत्य, मूर्तिविधान, प्राचीन मंदिरो, चित्रकळा वगेरेनो परिचय आपती लेखमाळा पण आ विभागमा छे. प्राचीन आचार्यो, गुरुपरंपरा, ग्रंथपरिचय, राजाओ, सिक्काओ, महावीरजीवन वगेरेने लगती ऐतिहासिक सामग्री पण आवी छे. देव-देवीओ, यक्ष-यक्षिणीओ, तीर्थकरो, जैनसाध्वीओ अने आचार्योनी मूर्तिओ विषयक लेखो पण आमां समाया छे. आ रीते अतिसमृद्ध विविध साहित्यसामग्रीनो आमा समावेश थयो छे. आ प्रकारनी विविध सामग्रीवाळा आ स्मारक ग्रंथनी महत्तामां आपेल विविध चित्रसामग्री अने तसवीरोए घणो महत्त्वनो उमेरो को छे. उपर जणाव्यु ते प्रमाणे आ यादगार स्मारक ग्रंथने जे महत्ता वरी छे तेमां विद्वान संपादको. लेखको अने विविध सामग्री पूरी पाडनार महानुभावोए अने खास करीने स्मारक ग्रंथना योजक महानुभाव सज्जनोना अथाग खंतभर्या परिश्रमे मोटो भाग भजन्यो छे. एटले स्मारक ग्रंथना योजको खरेखर गर्व लई शके तेवो आ स्मारक ग्रंथ बन्यो छे. अंतमा स्वर्गवासी गुरुदेव श्रीआचार्यभगवाननी पवित्र सेवामां स्मारक ग्रंथना योजको अने सहकारीओ साथे हुं पण ए पवित्र गुरुदेवनी सेवामां मारी आंतरिक सेवांजलि आदरपूर्वक अर्पण करूं छं. मुनि पुण्यविजय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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