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किलकारी
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किस्सा
कीड़ा
किलकारी-(स्त्री०) = किलकार
किशमिशी-फा० (वि०) 1 किशमिश का बना हुआ 2 जिसमें किलकिल-(स्त्री०) 1 कलह, तकरार 2 व्यर्थ की किचकिच | किशमिश पड़ी हो 3 किशमिश के रंग का । 3 किलकार
किशोर-सं० (३०) 110-15 आय वर्ग का बालक किलकिला-I सं० (स्त्री०) किलकार, किलकारी II (पु.) 2 अल्पवयस्क (स्त्री० किशोरी)। -ता (स्त्री०) - समुद्र की लहरों के टकराने से उत्पन्न ध्वनि
किशोरावस्था किलकिलाना-(अ० क्रि०) 1 किलकारी मारना 2 अत्यंत किशोरावस्था-सं० (स्त्री०) किशोर होने की अवस्था, वय हर्षित होकर तीव्र ध्वनि करना
किशोरी-सं० (स्त्री०) 1 दस से पंद्रह वर्ष के बीच की उम्रवाली किलनी-(स्त्री०) पशुओं के शरीर में चिपटनेवाला एक छोटा बालिका 2 सुंदर युवती 3 अल्पवयस्का
किश्त-[फा० (स्त्री०) किस्त, अंश (जैस-किश्त अदा करना) किलबिलाना-(अ० क्रि०) = कुलबुलाना
II (स्त्री०) खेती-बारी; - वार थोड़ी-थोड़ी किस्तों में किलवाई-(स्त्री०) लकड़ी का बना फावड़ा
किश्ती-फ़ा० (स्त्री०) - कश्तो, नाव, नौका। नुमा (वि०) किलवाना-(स० क्रि०) 1 कील ठकवाना 2 कीलने का काम नाव की शक्ल का अन्य से कराना
किस-1 (सर्व०) कौन और श्या का वह रूप जो उसे विभक्ति किलवारी-(स्त्री०) बो० पतवार के काम आनेवाला छोटा डाँडा लगाने पर मिलता है (जैसे-किमका. किसने) II (क्रि० किला-अ० (पु०) गढ़, दुर्ग। बंदी + फ़ा० (स्त्री०) वि०) किस प्रकार 1 सुरक्षात्मक कार्रवाई 2 मोरचाबंदी, व्यूह रचना; टूटना किसनई-बो० (स्त्री०) - किमानी दुसाध्य कार्य का पूरा होना, विपत्ति दूर होना; ~फ़तेह करना किसबत-अ० (स्त्री०) छोटी थैली 1 किला जीत लेना 2 अत्यंत कठिन कार्य पूरा करना; क़िसमत-अ० (स्त्री०) : क्रिम्मत -बाँधना शतरंज के खेल में बादशाह को शह पड़ने से ! किसलय-सं० (१०) कोमल पत्ता, कला, नव-पल्लव, बचाना; हवाई ~ बनाना बेकार की कल्पनाएँ करते | कोंपल रहना
किसान-(पू) खेतिहर 2 काश्तकार। - आंदोलन । सं० किलावा-(पु०) 1 तकली पर लिपटा सृत का लच्छा 2 हाथी (पु०) कृषक क्रांति; कुटुंब - म० (१०) कृषक परिवार;
के गले में पड़ी हुई महावत के पैर रखनेवाली रस्सी 3 हाथी का खेत (पु०) किसान की खेती करने की भूमि; जनता । कंधा 4 सुनारों का एक औजार
सं० (स्त्री०) किसानों का संगठनः वर्ग - सं० (१०) किलिक-फा० (स्त्री०) देशी कलम बनाई जानेवाली नरकट किसान जनता; संगठन - सं० । पू०) खेतिहरों का जाति का एक पौधा
संगठन; ~संघर्ष - सं० १०) - किमान युद्ध; सभा + किलेदार-अ० + फ़ा० (पु०) दुर्गरक्षक
सं० (स्त्री०) किसानों का एकत्र होकर कृषि विषय पर विचार किलेबंदी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) - क़िलाबंदी
विमर्श करने का समूह; ~ समस्या । सं० (स्त्री०) कृषकों किलोग्राम-अं० (पु०) तोल = 1000 ग्राम
की कठिनाईयाँ; ~ समुदाय · सं० (पु०) किसान जनता किलोमीटर अं० (पु०) दूरी की नाप जो लगभग 5/8 मील के किसानी-(स्त्री०) खेती, कृषक कार्य (जैसे-किसानी करना) बराबर होती है
किसी-(सर्व) 'कोई' का वह रूप जो उसे विभक्ति लगने पर किलोल-बो० (पु०) = कलोल
प्राप्त होता है (जैसे-किसी लड़के को बला दो, यह कार्य किसी किलोवाट-अं० (पु०) बिजली का परिमाण जो 1000 वाट के ने नहीं किया) बराबर होता है
क़िस्त-अ० (स्त्री) 1 अंश, भाग 2 देन 3 मालगुज़ारी का. किल्लत-अ० (स्त्री०) 1 कमी, तंगी 2 दुर्लभता 3 संकोच नियत समय पर दिया जानेवाला धन या ऋण। -बंदी । किल्ला-(पु०) 1 कीला, छंटा 2 जाँते के बीचो-बीच गडी फ़ा० (स्त्री०) क़िस्त बाँधना; ~~वार , फ़ा० (क्रि० वि०)
मेख। ~गाड़कर बैठना 1 अटल होकर बैठना 2 जिद्द 1क़िस्त रूप में 2 क़िस्त पर अलग-अलग करना
क़िस्म-अ० (स्त्री०) प्रकार, भेद, तरह (जैसे-अच्छी क़िस्म का किल्ली-(स्त्री०) 1 टी 2 सिटकनी 3 कल की मुठिया।
कपड़ा) ~~ऐंठना, घुमाना 1 पेच घुमाना 2 मत फेरने की युक्ति क़िस्मत-अ० (स्त्री०) भाग्य, तक़दीर। -आज़माना करना 3 जोड़-तोड़ लगाना; किसी के हाथ में होना सफलता के लिए प्रयत्न करना; --का धनी भाग्यशाली; 1 काबू में होना 2 मनचाहा काम करवाने की तरक़ीब ज्ञात होना --का फेर भाग्य परिवर्तन का सितारा बुलंद होना किल्विष-सं० (पु०) 1 पाप 2 दोष, अपराध 3 छल, कपट भाग्योदय होना; ~खुलना, चमकना, जागना 4 रोग 5 संकट
1 सुख के दिन आना 2 उन्नति का समय आना; उलटना, किल्विषी-सं० (वि०) 1 पापी 2 दोषी, अपराधी 3 छली फूटना 1 सुख सौभाग्य का मंद पड़ना 2 दुर्गति का समय 4 रोगी
आना किवाड़-(पु०) कपाट, पट (जैसे-किवाड़ बंद कर देना) । क़िस्सा -अ० (पु०) । कहानी. मनगढंत बात 2 घटना का
देना दरवाज़ा बंद करना; ~बंद हो जाना घर में किसी का विवरण 3 समाचार, हाल। कहानी • हिं० (स्त्री०) न होना
1 कल्पित कथाएँ 2 मिथ्या बात; ख्वाँ, गो + फ़ा० किशमिश-फ़ा० (स्त्री०) सुखाया गया अंगूर
(वि०) कहानी कहनेवाला