________________
रखनी
690
रजत
-
खदेडना
है) 6 प्रकट न करना (जैसे-मन में रखना) 7 संग्रह करना रगड़ा-(पु०) 1 रगड़, घर्षण 2 अति परिश्रम 3 झगड़ा, वैर (जैसे-दूकानदार ने बहुत सा धन रखा है) 8 व्यवस्था करना विरोध। ~झगड़ा (पु०) रगड़ झगड़, लड़ाई झगड़ा (जैसे-बँगले में बारात को रखना) 9 बंधक में देना, गिरवी में रगड़ान-(स्त्री०) रगड़ने का काम, रगड़ा। देना (जैसे-ज़ेवर रखकर रुपये लाना) 10 रखैल, उपपत्नी के । रगड़ी-(वि०) लड़ाई झगड़ा करनेवाला, झगड़ालू रूप में ग्रहण करना (जैसे-विधवा होकर भी नौकर को रखना) रगण-(पु०) ऐसा वर्ण समूह जिसमें क्रमशः गुरु लघु गुरु वर्ण 11 रक्षा करना (जैसे-उसने लड़के को छिपा रखा है) ऽ हों 12 धारण करना (जैसे-आशा रखना) 13 आश्रित करना रग़बत-अ० (स्त्री०) 1 इच्छा, कामना 2 रुचि, प्रवृत्ति (जैसे-दीवारों में छत रखना)
3 ख्वाहिश, आरजू रखनी-(स्त्री०) रखेली, सुरैतिन
रगाना-I (अ० क्रि०) बो० 1 चुप होना 2 शांत होना रख रखाव-(पु०) 1 रक्षा, हिफ़ाज़त 2 मर्यादा, परंपरा आदि | II (स० क्रि०) 1 चुप कराना 2 शांत कराना
का उचित निर्वाह 3 पालन पोषण (जैसे-रख रखाव की | रगी-(स्त्री०) एक तरह का मोटा अनाज ज़िम्मेदारी)
रगीला-(वि०) हठी, जिद्दी रखवाई-(स्त्री०) 1 रखवाली, चौकीदारी 2 रखवाली करने की रगेदना-(स० क्रि०) 1 धक्का देकर दूर हटाना 2 भगाना,
मज़दूरी रखवाना-(स० क्रि०) 1 रखने का काम कराना 2 रखने को रघु-सं० (पु०) 1 सूर्यवंशी राजा दिलीप के पुत्र और श्री राम के विवश करना
परदादा 2 रघु के वंश में उत्पन्न व्यक्ति । नाथ (पु०) श्री रखवाला-(पु०) 1 पहरेदार, चौकीदार 2 दूसरे के सामान की रामचंद्र; ~वंश (पु०) 1 महाराज रघु का ख़ानदान रक्षा करनेवाला
2 कालिदास द्वारा रचित एक प्रसिद्ध महाकाव्य रखवाली-(स्त्री०) 1 रखनेवाले का काम, हिफ़ाज़त | रचक-सं० (पु०) रचयिता 2 चौकीदारी, पहरेदारी
रचन-सं० (पु०) = रचना II रखाई-(स्त्री०) 1 रखवाली 2 रखवाली के बदले में | रचना-I (स० क्रि०) 1 तैयार करना, बनाना 2 स्वरूप स्थिर मिलनेवाला पारिश्रमिक
करना 3 प्रस्तुत करना (जैसे-पुस्तक रचना) 4 उत्पन्न करना रखाना-(स० क्रि०) रखने का काम कराना
5 अनुष्ठान करना, ठानना 6 सजाना सँवारना (जैसे-वेणी रखियाना-(स० क्रि०) 1 राखी लगाना 2 राखी लगाकर साफ़ रचना) 7 उचित क्रम में लगाना करना
रचना-II सं० (स्त्री०) 1निर्माण (जैसे-फूल की रचना) रखैया-(वि०) 1 रखनेवाला 2 रक्षा करनेवाला, रक्षक 2 बनावट (जैसे-भवन, मकान की रचना) 3 कृति रखैल-(स्त्री०) रखनी
(जैसे-कवि की रचना) 4 सजावट (जैसे-केश रचना) रखैली-(स्त्री०) उपपत्नी, सुरैतिन
5 विशेष कौशल, चमत्कार। ~कार (पु०) = रचयिता; रखौत, रखौना-(पु०) गोचर भूमि, चरी
~काल (पु०) रचना का समय; ~कौशल (पु०) रचना रग-फा० (स्त्री०) शरीर की नस, नाड़ी। पट्टा + हिं० की निपुणता; विधान (पु०) रचना के नियम; ~शैली
(पु०) असल नसल इत्यादि का पता होना; रेशा (पु०) (स्त्री०) रचना ढंग 1 असल नसल 2 पत्तियों की नसें 3 शरीर के भीतरी अंग; रचना-III (अ० क्रि०) 1प्रेम में फँसना, अनुरक्त होना 2 रँगा ~उतरना 1 ज़िद दूर होना 2 क्रोध उतरना 3 आँत उतरना; जाना 3 सुंदर रूप में प्रस्तुत होना, फबना (जैसे हाथ पैर में ~खड़ी होना नस फूल जाना; चढ़ना 1 क्रोध आना मेंहदी रचना) 2 हठ के वश होना; दबना 1 डरना 2 दबाव मानना; रचनात्मक-सं० (वि०) रचना से संबद्ध (जैसे-रचनात्मक
पहिचानना भेद जानना; पाना असल बात मालूम कार्य) करना; ~फड़कना अनिष्ट की आशंका होना, माथा ठनकना; रचनावली-सं० (स्त्री०) रचनाओं की पुस्तक (जैसे-निबंध
-मिलना रहस्य ज्ञात होना; रग फड़कना उत्साह, आवेश रचनावली) के लक्षण प्रकट होना; ~ग में सारे शरीर में; रग से रचयिता-सं० (वि०) रचना करनेवाला वाकिफ़ होना पूरी तरह जानना; रगे निकल जाना अत्यंत | रचयित्री-सं० (स्त्री०) रचना करनेवाली महिला दुबला-पतला होना
रचवाना-(स० क्रि०) 1 रचना कार्य कराना 2 रैंगवाना रगड़-(स्त्री०) 1 रगड़ने का काम 2 रगड़े जाने का भाव 3 रगड़ रचाना-(स० क्रि०) 1 आयोजन करना (जैसे-शादी रचाना)
जाने से लक्षित चिह्न 4 कठिन परिश्रम (जैसे-नौकरी के लिए 2 रँगाना 3 लगाना (जैसे-मेंहदी रचाना) रगड़ करना) 5 झगड़ा, तकरार (जैसे-रगड़-झगड़) 6 धक्का रचित-सं० (वि०) बनाया हुआ, निर्मित
(जैसे-भीड़ में रगड़ खाना)।झगड़ (स्त्री०)लड़ाई झगड़ा । रच्छा-बो० (स्त्री०) = रक्षा रगड़ना-I (अ० क्रि०) अत्यंत श्रम करना II (स० क्रि०) रज-I सं० (पु०) स्त्रियों का मासिक रक्तस्राव II सं० (पु०) 1 बार-बार दबाते हुए चलाना (जैसे-एड़ी रगड़ना) 2 पीसना । 1गर्द, धूल (जैसे-रज कण) 2 पराग 3 ज्योति। कण (जैसे-भाँग रगड़ना) 3 निरंतर परिश्रमपूर्वक काम करना (पु०) 1 धूलिकण 2 रजः कण, गर्द (जैसे-कलम रगड़ना) 4 निरंतर अभ्यास करना 5 परेशान | रजक-सं० (पु०) धोबी करना 6 संभोग करना
रजत-I सं० (पु०) चाँदी II (वि०) 1 चाँदी के रंग का,