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मूका
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मूल
मूका-II बो० (पु०) - मुक्का
मूछा-सं० (स्त्री०) बेहोशी (जैसे-मूर्छ आना) मूकिमा-सं० (स्त्री०) = मूकता
मूच्छाल-सं० (वि०) = मूच्छित मूछ-(स्त्री०) = मूंछ
मूविस्था-सं० (स्त्री०) = मूर्छ मूजी-अ० (वि०) 1 सतानेवाला, अत्याचारी 2 दुष्ट, जालिम | मूर्छित-सं० (वि०) 1बेहोश 2 निष्क्रिय 3 अयोग्य और मूठ-(स्त्री०) 1 मुट्ठी 2 उपकरण आदि का हत्था (जैसे-तलवार | । अशक्त
की मूठ) 3 मुठिया, दस्ता, कब्ज़ा 4 मुट्ठी में समाई वस्तु | मूर्शित-सं० (वि०) मूळयुक्त (जैसे-एक मूठ चावल) 5 जादू टोना। ~मारना टोना करना | मूर्त-सं० (वि०) आकारवाला, साकार (जैसे-मूर्त रूप देना, मूठा-(पु०) = मुट्ठा
मूर्त रूप में)। प्रत्यक्षीकरण (पु०) अमूर्त को मूर्त रूप मूड-अं० (पु०) 1 मनोदशा 2 वृत्ति 3 मिज़ाज
देना; -विधान (पु०) कल्पना के आधार पर घटनाओं, मूह-सं० (वि०) मूर्ख। गर्भ (पु०) बिगड़ा हुआ गर्भ; कार्यों आदि के स्वरूप चित्र बनाने का भाव
ग्राह (पु०) 1 ग़लत धारणा 2 ख़ब्त; ~ग्राही (वि०), मूर्ति-I सं० (स्त्री०) 1 मूर्तता, ठोसपन 2 आकृति, शक्ल, सूरत दुराग्रही; ~ता (स्त्री०) मूर्खता; ता वश (वि०) 3 देह, शरीर 4 प्रतिमा (जैसे-देव मूर्ति, सरस्वती की मूर्ति) मूर्खतावश; बुद्धि (वि०) मूर्ख; ~वात (पु०) बँधी हुई | II (वि०) विषय विशेष का ज्ञाता (जैसे-न्यायमूर्ति, वायुः विश्वास (पु०) मूर्खतापूर्ण विश्वास
देवमूर्ति)। “करण (पु०); साकार रूप देना; कर्ता मूढात्मा-सं० (वि०) बहुत बड़ा मूर्ख
(पु०) = मूर्तिकार; ~की (स्त्री०) मूर्ति बनानेवाली; मूढी-बो० (स्त्री०) चावल की लाई
कर्म (पु०) कला (स्त्री०) मूर्तियाँ बनाने की विद्या, मूत-(पु०) मूत्र, पेशाब
हुनर; ~कार (पु०) 1मूर्ति बनानेवाला 2 चित्रकार; मूतना-(अ० क्रि०) पेशाब करना
निर्माण कला (पु०) मूर्ति कला; पूजक (पु०) मूर्ति मूत्र-सं० (पु०) प्राणियों के जननेंद्रिय मार्ग से निकलने वाला को पूजनेवाला; ~पूजन (पु०) मूर्ति पूजना; पूजा तरल पदार्थ, मूत, पेशाब। ~कक्ष (पु०) मूत्रालय; (स्त्री०) मूर्ति की पूजा करना (जैसे-देव की मूर्ति पूजा);
~कारक (वि०) मूत्र वर्द्धक; ~कृच्छ (पु०) मूत्र रुक ~भंजक (पु०)/(वि०) मूर्तियाँ तोड़नेवाला; ~भंजन रुककर होने का एक रोग; ~क्षय (पु०) = मूत्राघात; (पु०) मूर्तियाँ तोड़ना; विज्ञान (पु०) मूर्ति संबंधी विशेष
-दोष (पु०) मूत्र संबंधी कष्ट; ललिका, नाली ज्ञान; शिल्प (पु०) मूर्ति कला (स्त्री०) उपस्थ के अंदर पेशाब निकलने वाली नाली; ~पथ मूर्तित-सं० (वि०) साकार बनाया हुआ (पु०) मूत्र मार्ग; ~परीक्षा (स्त्री०) पेशाब की वैज्ञानिक | मूर्तिप-सं० (पु०) पुजारी जाँच; ~मार्ग (पु०) = मूत्रनाली; ~रोध (पु०) = मूर्तिमत्ता-सं० (स्त्री०) साकारता मूत्राघात; ~वर्द्धक (वि०) पेशाब बढ़ानेवाला; ~विज्ञान, मूर्तिमान-सं० (वि०) 1 मूर्तिविशिष्ट 2 सगुण और साकार ~शास्त्र (पु०) वह विज्ञान जिसमें मूत्र संबंधी तथ्यों का ज्ञान 3 प्रत्यक्ष, साक्षात प्राप्त किया जाता है
मूर्तीकरण-सं० (पु०) मूर्त रूप देना मूत्रागार-सं० (पु०) = मूत्रालय
मूर्द्ध-सं० (पु०) = मूर्द्धा मूत्राघात-सं० (पु०) चि० कुछ समय के लिए पेशाब बनना | मूर्धन्य-सं० (वि०) मूर्द्धा से संबंध। ~घटित (वि०) मूर्धन्य बंद हो जाना
रूप में होनेवाला मूत्रालय-सं० (पु०) पेशाब करने की जगह, पेशाब करने का मूर्धन्यीकरण-सं० (पु०) मूर्धन्य ध्वनि में परिवर्तित करना, कमरा
तवर्ग से टवर्ग बनाना मूत्राशय-सं० (पु०) नाभि के नीचे मूत्र संचित होने की एक मूर्द्धा-सं० (पु०) 1 व्या० मुख के भीतर बीच का स्थान जहाँ से थैली, मसाना
मूर्धन्य वर्गों का उच्चारण होता है (जैसे-ट, ठ, ड, ढ, ण मूत्रित-सं० (वि०) 1 मूत्र रूप में निकला हुआ 2 पेशाब लगने | आदि) 2 सिर, मस्तक से गंदा
मूर्धाभिषिक्त-सं० (वि०) 1सिर पर अभिषेक किया हुआ मूत्रीय-सं० (वि०) मूत्र संबंधी
2 श्रेष्ठ 3 सर्वमान्य (मत, नियम) मूरख-बो० (वि०) = मूर्ख
मूभिषेक-सं० (पु०) सिर पर किया जानेवाला अभिषेक मूरचा-फा० (पु०) = मोरचा
मूल-I सं० (पु०) 1 जड़ (जैसे-वृक्ष की मूल, मूल सींचना) मूरछा-(स्त्री०) = मूर्छा
2 आदि कारण (जैसे-सृष्टि का मूल) 3 आरंभ (जैसे-मूल मूरत-बो० (स्त्री०) = मूर्ति
सृष्टि) 4 बुनियाद, नींव 5 ग्रंथकार की मूल शब्दावली मूर्ख-सं० (वि०) मूढ़, नासमझ। ~ता (स्त्री०) 1 मूढ़ता 6 मूलधन 7 हाथ-पैर आदि का आदि भाग (जैसे-भुज मूल) नासमझी 2 मूर्ख होने का भाव; ~ता वश (क्रि० वि०) II (वि०) 1 असल और पहला 2 प्रधान, मुख्य (जैसे-युद्ध
मूर्खता के कारण; ~पंडित (पु०) पढ़ा लिखा मूर्ख का मूल कारण क्या था) III (क्रि० वि०) निकट, पास। मूर्खत्व-सं० (पु०) = मूर्खता
~कर्म (पु०) जड़ी बूटियों के मूल से होनेवाला टोना टोटका; मूर्खिमा-सं० (स्त्री०) बेवकूफ़ी
~कारण (पु०) आदि कारण, प्रधान हेतु; ~कारिका मूर्छन-सं० (पु०) मूच्छित होना या मूच्छित करना (स्त्री०) 1 सूत्र ग्रंथ की श्लोक बद्ध विवृत्ति 2 मूलधन का मुर्छना-सं० (स्त्री०) संगीत के स्वरों का आरोह-अवरोह ब्याज; काल (पु०) मुख्य समय; ~गत (वि०)
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