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ग्रंथिच्छेदक
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ग्रासक
की गाँठ 4 कोषाणुओं के योग से बनी प्रत्येक गाँठ। ~पिंड | (जैसे-चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण); 5 (मान) प्रतिष्ठा पर धब्बा (पु०) = ग्रंथि; बंधन (पु०) 1 गाँठ बाँधकर दो वस्तुओं लगना~शील (वि०) लेनेवाला को एक साथ करना 2 विवाह, गँठबंधन, गँठजोड़ा; ~मूल ग्रहणी-सं० (स्त्री०) 1 उदर एवं पक्वाशय के बीच की आँत (पु०) गाँठ रूप में पाई जानेवाली वनस्पति; ~मोचक 2 दस्त की बीमारी संग्रहणी (पु०) गिरहकट
ग्रहणीय-(वि०) 1 स्वीकार किए जाने योग्य 2 मानने योग्य प्रथिच्छेदक-सं० (पु०) गिरहकट
प्रहिल-सं० (वि०) 1 ग्रस्त किया हआ 2 भूत-प्रेतादि की बाधा प्रथित-सं० (वि०) 1 गाँठ लगी हुई 2 गाँठ लगाकर बाँधा से पीड़ित 3 दुराग्रही, हठी 4 अनुरागी, रसिक हुआ 3 गूंथा हुआ
ग्रहीत-सं० (वि०) = गृहीत ग्रंथिल-सं० (वि०) जिसमें गांठें हों, गाँठदार
ग्रांट-अं० (स्त्री०) अनुदान प्रथिला-सं० (स्त्री०) 1 गाडर दूब 2 माला दूब ग्राम-सं० (पु०) 1 गाँव 2 बस्ती। -कंटक (पु०) गाँव में ग्रंथी-[ सं० (पु०) 1 ग्रंथ कर्ता 2 ग्रंथ का पाठ करनेवाला उपद्रव मचानेवाला; कुक्कुट (पु०) पालतु मुर्गा; कूट, व्यक्ति II (वि०) 1जिसके पास बहत से ग्रंथ हों 2 जिसने ~कूटक (पु०) गाँव का मुखिया; ~ज, जात गाँव में बहुत से ग्रंथ पढ़े हों, विद्वान्
उत्पन्न; दान (पु०) गाँव भेंट देना; देवता (पु०) गाँव प्रथन-सं० (पु०) 1 गाँठ लगाकर बाँधना 2 ग्रंथ के रूप में का अधिष्ठाता 2 गाँव की रक्षा करनेवाला, देवता; ~धर्म रचना 3 गूथना, पिरोना
(पु०) संभोग, मैथुन; ~पंचायत (स्त्री०) गाँव के प्रथित-सं० (वि०) 1 बँधा हआ 2 रचा हुआ. रचित 3 गुथा लड़ाई-झगड़े हल करने एवं अन्य व्यवस्था करनेवाला मंडल;
पाठशाला (स्त्री०) गाँव का स्कूल, देहाती मदरसा; प्रसन-सं० (पु०) 1 पकड़ना, पकड़ 2 निगलना 3 कौर, ग्रास ~पाल (पु०) 1 गाँव का मालिक 2 गाँव का प्रधान 4 ग्रहण
अधिकारी; ~मुख (पु०) गाँव का बाज़ार, हाट; ~याजक प्रसना-सं० - हिं० (स० क्रि०) 1 अच्छी तरह से दबाते हए (पु०) ऐसा ब्राह्मण जो सभी जातियों का पुरोहित हो; ~वासी पकड़ना, जकड़ना 2 खाना
(वि०) गाँव में रहनेवाला; ~सभा (स्त्री०) गाँव की प्रसनी-सं० (स्त्री०) गले की नली; ~शोथ (पु०) चि० गले पँचायत; ~समाज (पु०) गाँव के लोग; सुधार (पु०) की नली का सूजन
गाँव के जीवन को सुधारने का काम; सेवक (पु०) प्रसनीय-सं० (वि०) जो ग्रसन योग्य हो
ग्राम-सुधार करनेवाला; सेविका (स्त्री०) ग्राम-सुधार में प्रसिका-सं० (स्त्री०) भोजन नली, ग्रास नली
काम आनेवाली प्रसित, प्रस्त-सं० (वि०) 1 पकड़ा हुआ 2 निगला हुआ ग्राम-अं० (पु०) एक अंग्रेज़ी तौल (जैसे-इसका वज़न सौ 3 पीड़ित (जैसे-रोग ग्रस्त)
ग्राम है) प्रस्ता-सं० (पु०) पकड़नेवाला
ग्रामणी-सं० (पु०) 1 गाँव का मालिक 2 गाँव का मुखिया प्रस्तास्त-[सं० (वि०) जो ग्रहण लगने पर बिना मोक्ष अस्त हो ग्रामांतिक-सं० (पु०) गाँव का पड़ोस जाये II (पु०) ऐसा ग्रहण जो सूर्य, चंद्रमा के समय अस्त ग्रामाचार-सं० (पु०) गाँव की विशिष्ट प्रथाएँ और रीति-रिवाज होने तक न छूटा हो
ग्रामाधिकारी-सं० (१०) गाँव का प्रधान, ग्राम प्रधान प्रस्तोदय-सं० (पु०) सूर्य या चन्द्रमा का ग्रहण लगे ही उदय ग्रामिक-I सं० (वि०) 1 गाँव में होनेवाला 2 ग्रामवासियों से
संबंध रखनेवाला II (पु०) 1 ग्राम प्रधान 2 ग्रामवासी प्रह-सं० (पु०) आकाशस्थ पिंड (जो सूर्य के गिर्द घूमते हैं) | ग्रामी, ग्रामीण-I सं० (वि०) 1 गाँव में रहनेवाला 2 गाँव का, (जैसे-शनि ग्रह, बृहस्पति ग्रह आदि) । गृहीत (वि०) ग्रह | ग्राम्य 3 गँवारू II (पु०) ग्रामवासी, देहाती द्वारा पीड़ित; चिंतक (पु०) ज्योतिषी; दशा (स्त्री०) ग्रामीण-सं० (वि०) = ग्राम्य 1 गोचर ग्रहों की स्थिति 2 ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की स्थिति - ग्रामेश-सं० (पु०) ग्रामपाल, ग्राम प्रधान में होने के परिणाम स्वरूप मनुष्य की होनेवाली अवस्था | ग्रामोद्योग-सं० (पु०) गाँव के उद्योग धंधे, खेती-बाड़ी आदि
-पथ (पु०) कक्षा; नायक (पु०) सूर्य; ~पति कार्य (पु०) 1 सूर्य 2 शनि: ~मैत्री (स्त्री०) वर-कन्या के ग्रहों की ग्रामोफ़ोन-अं० (पु०) शब्द ध्वनियों को टेप करके पुनः अनुकूलता; ~यज्ञ (पु०) ग्रहों की उग्रता शांति के लिए सुनानेवाला यंत्र (जैसे-ग्रामोफ़ोन बजाना) किया जानेवाला पूजन; यात्रा (स्त्री०) ग्रह का अपनी कक्षा ग्राम्य-सं० (वि०) 1 गाँव से संबंधित गाँव का (जैसे-ग्राम्य में चलना; विप्र (पु०) ज्योतिषी; ~वेध (पु०) ग्रहों की सुधार, ग्राम्य अर्थ व्यवस्था) 2 गाँव की प्रथाओं एवं स्थिति का ज्ञान प्राप्त करना; समागम (पू०) किसी राशि रीतिरिवाजों से संबद्ध 3 गाँव में पाया जानेवाला 4 गँवारू में चंद्रमा के साथ अन्य ग्रहों का योग; स्वर (पु०) राग -कर्म (पु०) मैथुन आरंभ करने का स्वर। देखना शुभ-अशुभ अवसर का | ग्राव-सं० (पु०) 1 पत्थर 2 पहाड़ पता लगाना; -बिगड़ना अशुभ घड़ी होना
ग्रास-सं० (पु०) 1 ग्रसना 2 कौर, निवाला 3 सूर्य-चंद्रमा की ग्रहण-सं० (पु०) 1 पकड़ने की क्रिया 2 लेने की क्रिया | ग्रहण स्थिति 3 अंगीकार करना, स्वीकार करना 4 पृथ्वी की छाया पड़ने से | ग्रासक-सं० (वि०) 1कसकर पकड़नेवाला 2 मुँह में सूर्य-चंद्रमा की ज्योति का कुछ समय के लिए लुप्त हो जाना | रखनेवाला 3 भक्षक
होना
हाना