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जोरन
जोरन-बो० (स्त्री०) = जामन जोराजोरी - I फ़ा० (स्त्री०)
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बलपूर्वक बलात् जोरावर - फ़ा० (वि०) बलवान्, शक्तिशाली जोरावरी-फ़ा० बलवान् होने की अवस्था 2 ज़बरदस्ती, धींगा-धींगी
जोरू - (स्त्री०) भार्या, स्त्री, पत्नी । जाँता (पु० ) पत्नी एवं घर-बार । ~ का गुलाम जो पत्नी के वश में हो, स्त्री भक्त जोली - (वि०) संगी-साथी
ज्ञानद
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जौहड़ - बो० ( पु० ) 1 वह गड्ढा जिसमें बरसाती जल जमा होता ज़बरदस्ती II ( क्रि० वि०) 2 छोटा तालाब जौहर - (पु० ) जुहार I जौहर - I अ० (पु० ) आत्म-सम्मान की रक्षा हेतु (स्त्रियों द्वारा ) की जानेवाली आत्महत्या II ( पु० ) 1 बहुमूल्य पत्थर, रत्न 2 गुणवत्ता (जैसे-विकट परिस्थितियों में आदमी का जौहर देखा जा सकता है) 3 तलवार की बारीक धारियाँ जिससे लोहे की उत्तमता का पता चलता 4 उत्तमता, श्रेष्ठता 5 रत्न
6 राजपूत स्त्रियों का सती होना जौहरी - अ० ( पु० ) 1 बहुमूल्य रत्न परखने एवं बेचनेवाला व्यापारी 2 काम, चीज़ के गुण-दोष आदि को अच्छी तरह जानने एवं समझनेवाला व्यक्ति, पारखी (जैसे-शब्दों का जौहरी)
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जोश - फ़ा० (पु० ) 1 उत्तेजना, गर्मी, उत्साह (जैसे-जोश में आकर काम कर डालना) 2 आवेश, रोष 3 उबाल, उफान । ~ खरोश (पु० ) अत्यंत उत्सुकतापूर्ण आवेश पूर्ण सं० (वि०) उत्साह से भरा हुआ; खून का जोश कुल, परिवार, वंश के किसी मनुष्य के प्रति होनेवाला प्रेम का प्रबल वेग
जोशन - फ़ा० ( पु० ) 1 बाँह पर पहने जानेवाला एक प्रकार गहना 2 कवच, जिरह बख्तर
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जोशाँदा - फ़ा० (पु० ) जड़ी-बूटियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा 2 काढ़ा बनाने के लिए एक में मिलाई गई जड़ी-बूटियाँ जोशी - (पु० ) जोषी जोशीला - फा० + हिं० (वि०) जोश में भरा हुआ, ओजपूर्ण
(जैसे-जोशीला भाषण, जोशीला चेहरा )
जोष, जोषण-सं० (पु० ) प्रेम, प्रीति जोषा, जोषिता-सं० (स्त्री०) दे० योषिता (शुद्ध) जोषी - (पु० ) दे० ज्योतिषी जोह - (स्त्री०) 1 प्रतीक्षा 2 खोज, तलाश जोहड़ - ( पु० ) कच्चा तालाब
जोहना - (स० क्रि०) 1 ध्यान पूर्वक देखना 2 तलाश करना, खोजना 3 प्रतीक्षा करना
जौर - (पु० ) अत्याचार जौशन - अ० (पु० )
ज़ोहरा - अ० (स्त्री०) शुक्र ग्रह जोहार-बो० (स्त्री०)
= जुहार II
जोहारना - बो० (अ० क्रि०) जुहारना, नमस्कार करना जोहारी - (स्त्री०) सलाम, नमस्कार
जौंकना - (स० क्रि०) 1 रोष जतलाते हुए ऊँचे स्वर में बोलना 2 यकायक बहुत ज़ोर से चिल्ला उठना जौंरा - भौंरा - I खज़ाना रखने का तहख़ाना जौरा - भौंरा - II ( पु० ) 1 एक साथ पैदा होनेवाले दो बालक 2 प्रायः एक साथ रहनेवाले दो व्यक्ति
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जौ - ( पु० ) 1 गेहूँ जैसा एक प्रसिद्ध पौधा जिसके दानों को पीसकर रोटी बनाई जाती है 2 उक्त पौधे का दाना (जैसे-जौ का आटा) । ~ केराई (स्त्री०) मटर मिला जौ जौक़ - अ० ( पु० ) 1 सेना, फ़ौज 2 जत्था, समूह जौक़-अ० (पु० ) वस्तु से प्राप्त होनेवाला सुख, आनंद जौजा- अ० (स्त्री०) जोरू, पत्नी जौतुक - (पु० ) यौतुक जौनाल - ( स्त्री०) 1 जौ के पौधे का डंठल और बाल 2 वह भूमि जिसमें जौ बोया जाय 3 वह खेत जिसमें रवि की कोई फसल पैदा हो
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जोशन
ज्ञ-सं० (वि०) जाननेवाला (जैसे- विशेषज्ञ, अल्पज्ञ ) ज्ञपित, ज्ञप्त-सं० (वि०) 1 जाना हुआ, ज्ञात 2 जतलाया हुआ, बतलाया हुआ
ज्ञप्ति - सं० (स्त्री०) 1 सूचना 2 जानी - जनाई हुई बात ज्ञात-सं० (वि०) जाना हुआ, विदित (जैसे- मुझे ज्ञात है कि वह चोर है ) यौवना (स्त्री०) नायिका जिसे अपने यौवनारंभ का एहसास हो
ज्ञातव्य-सं० (वि०) 1 जानने योग्य 2 जो जाना जा सके, बोधगम्य 3 जिसकी जानकारी आवश्यक हो ज्ञाता-सं० (वि०) जानकार
ज्ञाति-सं० (पु० ) एक ही गोत्र में उत्पन्न मनुष्य, गोती ज्ञान-सं० ( पु० ) 1 बोध, जानना, जानकारी 2 विद्या 3 पदार्थ को ग्रहण करनेवाली मन की वृत्ति 4 आत्म साक्षात्कार । ~कृत (वि०) जो जान बूझकर तथा सचेत अवस्था में किया गया हो; कोश, कोष (पु० ) ऐसा कोश जिसमें ज्ञातव्य विषयों का विवरण दिया गया हो; गम्य (वि०) जिसका ज्ञान प्राप्त किया जा सकता हो; गोचर (वि०) जो ज्ञान के द्वारा जाना जा सके; चक्षु I (पु० ) अंतर्दृष्टि II (वि०) ज्ञान दृष्टि रखनेवाला, विद्वान दाता I (वि०) ज्ञान देनेवाला II ( पु० ) गुरु; -दात्री (स्त्री०) सरस्वती; ~ निधि (स्त्री०) ज्ञान रूप संपत्ति पति (पु०) 1 परमेश्वर 2 गुरु; ~ पिपासा ( स्त्री०) ज्ञान की इच्छा; ~ पिपासु (वि०) जो ज्ञान का इच्छुक हो; पीठ (पु० ) विद्या केंद्र पूर्वक (वि०) = ज्ञानतः मंदिर (पु० ) = ज्ञान संस्थान; मीमांसा (स्त्री०) ज्ञान का विवेचन; ~ मूलक (वि०) = ज्ञानाश्रयी; ~युक्त (वि०) जो ज्ञानी हो; ~ योग (पु० ) शुद्ध ज्ञान की प्राप्ति; ~लिप्सा (स्त्री०) = ज्ञान पिपासा; ~वर्द्धक (वि०) ज्ञान में वृद्धि करनेवाला; -वर्द्धकता (स्त्री०) ज्ञान बढ़ाना; ~वान् (वि०) 1 जो बहुत जानकर हो 2 योग्य एवं समझदार; ~विज्ञान (पु० ) ज्ञान और विज्ञान; ~ विस्तार ( पु० ) ज्ञान का फैलाव; ~ वृद्ध (वि०) ज्ञान के कारण बड़ा, विद्या-वृद्ध; वृद्धि (स्त्री०) ज्ञान की बढ़ोत्तरी, शून्य (वि०) नासमझ, मूर्ख; ~ साधन (पु० ) 1 इंद्रियाँ जो ज्ञान देती हैं 2 ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न
ज्ञानतः सं० (अ०) जानते हुए, ज्ञानपूर्वक, जान-बूझकर ज्ञानद-सं० (पु० ) ज्ञानदाता