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गुप्तक
जासूस चर विभाग (पु०) गुप्त रूप से अपराधियों का पता लगाने का विभाग; चर्या (स्त्री०) गुप्तचर की कार्रवाई; गुप्तता की शपथ रहस्यों को प्रकट न करने की शपथ; ~दान (पु० ) 1 छिपाकर दिया जानेवाला दान 2 ऐसा दान जिसके दाता का पता न हो; ~ प्रणिधि (पु०) गुप्तचर के रूप में प्रतिनिधि अधिकारी मत (पु०) अप्रकट राय / वोट संचरण (पु० ) गुप्त रूप से गमन करना गुप्तक-सं० (वि०) छिपाकर रखेनवाला गुप्तांग-सं० (पु० ) स्त्री एवं पुरुष के गुप्त अंग, उपस्थ गुप्ता-सं० (स्त्री०) 1 परकीया नायिका जो पर पुरुष से अपना संबंध छिपाने का प्रयत्न करे 2 रखेली
गुप्ति-सं० (स्त्री०) 1 छिपाव 2 रक्षा 3 कारागार
गुप्ती - (स्त्री०) ऐसी लंबी एवं पोली छड़ी जिसमें पतली तलवार छिपी रहती है
गुप्फा - (पु० ) = गुच्छा
गुफा -- (स्त्री०) ज़मीन या पहाड़ के अंदर का गहरा एवं अँधेरा गड्ढा, कंदरा (जैसे- शेर गुफा में रहता है) गुफ़्तगू - फ़ा० (स्त्री०) वार्तालाप, बातचीत
गुफ़्तार - फ़ा० (स्त्री० ) 1 बात चीत 2 बात-चीत करने का ढंग गुबरैला - (पु० ) = गोबरैला
गुबार - अ० (पु० ) 1 गर्द, धूल 2 उद्गार (जैसे-मन का गुबार निकालना)
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गुबारा, गुब्बारा - (पु० ) 1 रबर की थैली जिसमें हवा से हल्की गैस भरने से वह हवा में उड़ती है 2 हवा भरी रबर की थैली जिसे सैनिक प्रयोग करते हैं, छतरी
गुम - फ़ा० (वि०) 1 छिपा हुआ, गुप्त 2 खोया हुआ 3 जिसका पता न हो 4 जो ख्यात न हो (जैसे-गुमनाम) । राह (वि०) 1 भटका हुआ 2 पथभ्रष्ट (जैसे- गुमराह करना); ~राही (स्त्री०) पथभ्रष्टता; -शुदा (वि०) खोया हुआ; ~सुम (वि०) चुप और निश्चेिष्ट, स्तब्ध गुमकना - (अ० कि०) भीतर ही भीतर गूँजना
गुमटा - ( पु०) गल सूजन
गुमटी - (स्त्री०) 1 मकान के ऊपरी भाग में शेष से कुछ अधिक उठी हुई सीढ़ी की छत 2 रेलवे लाइन के किनारे खलासी के रहने के लिए छोटा गोलाकार गुंबदनुमा कमरा
गुमना - I फ़ा० + हिं० (अ० क्रि०) गुम हो जाना, खो जाना II (स० क्रि०) गुम करना, खो देना
गुमनाम - फ्रा० (वि०) 1 जिसका नाम कोई न जानता हो, अप्रसिद्ध (जैसे-गुमनाम शिकारी, गुमनाम चोर) 2 बिना नाम का (जैसे-गुमनाम चिट्ठी गुमनाम शिकायत ) गुमर - (पु० ) 1 घमंड, शेखी 2 दुर्भाव, गुबार गुमान - फ़ा० ( पु० ) 1 अभिमान, घमंड 2 अनुमान 3 कल्पना 4 कल्पना के आधार पर किया जानेवाला शक गुमानी - फा० + हिं० (वि०) गुमान करनेवाला, अभिमानी गुमाश्ता - फा० (पु० ) एजेंट के रूप में काम करनेवाला कर्मचारी । ~ गीरी (स्त्री०) 1 गुमाश्ते का काम 2 गुमाश्ते का
पद
गुम्मट - ( पु० ) 1 गुंबज 2 गुमटा गुम्मा - I (पु० ) बड़ी एवं मोटी ईंट II ( वि०) गुमसुम रहनेवाला, चुप्पा
गुरुत्वाकर्षण
गुर - (पु० ) 1 अत्यंत अच्छी युक्ति 2 अमोघ साधन 3 गुरु 4 गुरुमंत्र । मुखी (स्त्री०) गुरु के मुख से निकली गुरगा - ( पु० ) 1 दास, सेवक 2 अनुचर 3 जासूस गुरगाबी - ( स्त्री०) देशी जूता
गुरदा - फ़ा० (पु० ) रीढ़दार जीवों में वे दो अंग जो किए गए भोजन से बने रक्त को साफ़ करता है और शेष तरल पदार्थ को पेशाब रूप में मूत्राशय में भेजता है।
गुरबत - अ० (स्त्री०) 1 विदेश का निवास, प्रवास 2 पथिक की परवशता एवं विवशता 3 निराश्रयता
गुरल - (पु० ) भूरे रंग की पहाड़ी बकरी
गुराई - बो० (स्त्री०) गुराव - ( पु० ) 1 तोप लादने की गाड़ी 2 ऐसी नाव जिसमें मस्तूल हो
युद्ध
+
गुरिया - (स्त्री०) 1 मनका 2 छोटी गोली गुरिल्ला - अं० (पु० ) छापामार दस्ते का सैनिक सं० (पु० ), ~ लड़ाई + सं० (पु० ) ऐसा युद्ध जिसमें सैनिक टुकड़ियाँ मौका पाकर शत्रु पर हमला करती हैं; सेना + सं० (स्त्री०) ऐसी सेना जो घात लगाकर हमला करती है। गुरु - I सं० (वि०) 1 पूज्य 2 वज़नदार, भारी 3 बड़ा 4 कठिन II (पु०) 1 शिक्षक 2 पूज्य पुरुष 3 बुजुर्ग 4 कला आदि सिखानेवाला व्यक्ति, उस्ताद 5 दीर्घ मात्रा। कुल (पु०) 1 गुरु का घराना 2 गुरुगृह; ~ गंभीर (वि०) बहुत भारी गंभीर / संजीदा गत (वि० ) गुरु के पास गया हुआ; ~घंटाल (पु० ) चालाक आदमी घर हिं० (पु०) गुरु के रहने का स्थान, गुरु का वास स्थान; जन (पु० ) पूज्य पुरुष, आचार्य, जनहंता (पु०) बड़े बूढ़ों का हत्यारा; ~डम (पु० ) गुरुआई का दंभ या ढोंग; ~ता (स्त्री०) 1 गुरुत्व (दे०) 2 भारीपन; दक्षिणा (स्त्री०) सारी विद्या पढ लेने पर गुरु को दी जानेवाली दान-दक्षिणा (जैसे-गुरु दक्षिणा चुकाना ); द्वारा + हिं० (पु० ) 1 गुरुगृह 2 सिखों का मठ, मंदिर; पाक (वि०) 1 देर से पकनेवाला 2 देर से पचनेवाला, पूर्णिमा ( स्त्री० ) गुरु पूजा का पर्व आषाढ़ पूर्णिमा, भाई + हिं० (पु०) एक ही गुरु के दो से अधिक शिष्य गुरुभाई कहलाते हैं; मंत्र ( पु० ) गुरु द्वारा दिया गया मंत्र या सीख; मार + हिं० (वि० ) गुरु को परास्त करनेवाला; ~ मुख (वि०) जिसने अध्यात्मिक रूप में गुरु से मंत्र लिया हो; मुखी + हिं० (स्त्री०) = गुरमुखी; रत्न (पु० ) 1 पुखराज नामक रत्न 2 गोमेद नामक रत्न; वार (पु०) बृहस्पतिवार
गुरुआई -सं० + हिं० (स्त्री०) गुरु का कार्य, धर्म गुरु आनी - सं० हिं० (स्त्री०) 1 गुरु
2 शिक्षिका गुरुजनोचित -सं० (वि०) बड़े लोगों के लिए उचित गुरुत्व-सं० ( पु० ) 1 गुरु होने की अवस्था 2 गुरु का कार्य 3 भारीपन 4 बड़प्पन, श्रेष्ठता। केंद्र (पु०) पिंड में मध्य बिंदु जिसमें पदार्थ का संपूर्ण भार केंद्रित हो; ~लंब (पु०) रेखा जो गुरुत्वकेन्द्र से नीचे खींची जाए गुरुत्वाकर्षण-सं० (पु० ) वह शक्ति जिसके द्वारा कोई पिंड दूसरे पिंड को अपनी ओर आकृष्ट करता है, पिंडों की एक-दूसरे को आकृष्ट करने की वृत्ति (जैसे- शून्य गुरुत्वाकर्षण) । हीन (वि०) ऐसा पिंड जिसमे
पत्नी