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पंथि
~खोर (वि०) गोश्त खानेवाला, मांसाहारी
(जैसे-गौर करना)। ~तलब (वि०) विचारने योग्य, गोष्ठ-सं० (पु०) 1 गोशाला 2 एक ही प्रकार के पशुओं के रहने विचारणीय
का स्थान (जैसे-अश्वगोष्ठ) 3 परामर्श, सलाह मशविरा | गौरव-सं० (पु०) 1 बड़प्पन, महत्त्व 2 गुरुता, भारीपन 4 दल, मंडली। ~शाला (स्त्री०) सभा भवन, गोष्ठी का 3 आदर, सम्मान (जैसे-गौरव में चार चाँद जड़ देना) स्थान
4 मर्यादा, प्रतिष्ठा (जैसे-गौरव घटाना); ~पूर्ण (वि०) गोष्ठागार-सं० (पु०) = गोष्ठशाला
सम्मान से ओत-प्रोत, सम्मानित, सम्मानित किया गया हो; गोष्ठी-सं० (स्त्री०) 1 मित्र मंडली (जैसे-गोष्ठी जमना) ~युक्त (वि०) = गौरवपूर्ण; ~शाली (वि०) जो महान 2 औपचारिक बैठक (जैसे-उद्यान गोष्ठी)
हो (जैसे-गौरवशाली व्यक्ति); -स्थल (पु०) ऐसा स्थान गोसा-सं० (पु०) उपला, कंडा
जहाँ जाने से मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि हो गोसाई-I (पु०) 1 गृहस्थ होने पर भी गेरुए वस्त्र धारण गौरवान्वित-सं० (वि०) = महिमा से युक्त करनेवाली एक जाति 2 जितेंद्रिय 3 साधु-सन्यासियों का गोरवासन-सं० (पु०) सम्मानित पद सम्बोधन, गोस्वामी II (वि०) बड़ा, श्रेष्ठ
गौरवित-सं० (वि०) गौरवपूर्ण, प्रतिष्ठित गोसी-(स्त्री०) समुद्रगामिनी अनेक मस्तूलोंवाली नौका । गौरांग-[सं० (पु०) 1 विष्णु 2 श्री कृष्ण 3 चैतन्य महाप्रभु II गोह-(स्त्री०) छिपकली की जाति का एक बड़ा एवं जहरीला | (वि०) गोरे अंगवाला जंगली जंतु
गौरा, गौरी-सं० (स्त्री०) 1 पार्वती 2 गोरी स्त्री। -कांत गोहरा-(पु०) = गोसा
(पु०) शिव; ~शंकर (पु०) 1 शिव और पार्वती गोहार-(स्त्री०) 1 रक्षा के लिए पुकार 2 शोरगुल, 2 हिमालय की सबसे ऊँची चोटी हल्ला-गुल्ला। ~मारना सहायता के लिए पुकारना; गौरैया-I बो० (स्त्री०) एक प्रसिद्ध छोटी चिड़िया जो घरों में भी लड़ना अखाड़े में पहलवानों का ललकारना
अक्सर रहती हैं, चिड़ी गोहवन-बो० (पु०) = गेहुँअन
गौरैया-II (पु०) मिट्टी का बना छोटा हुक्का गौ-(स्त्री०) 1 स्वार्थ साधन की प्रबल इच्छा 2 प्रयोजन, स्वार्थ गौल्पिक-सं० (पु०) सेना की टुकड़ी का नायक सिद्ध होने का समय 3 ढंग, चाल। ~का यार स्वार्थी, गौहर-फ़ा० (पु०) मोती मतलबी; ताकना अवसर की तलाश में रहना; ग्यारस-(स्त्री०) एकादशी
निकलना स्वार्थ सिद्ध होना; ~पड़ना काम पड़ना; ~से ग्यारह-[ (वि०) दस और एक II (प०) दस और एक की चुपके से
संख्या, 11 गौ-(स्त्री०) गाय, झुंड (पु०) गायों का समूह। ~मुखी | ग्रंथ-सं० (पु०) 1 मोटी एवं बड़ी महत्त्वपूर्ण पुस्तक
(स्त्री०) = गोमुखी; ~शाला (स्त्री०) = गोशाला (जैसे-रामचरित मानस एक धार्मिक ग्रंथ है) 2 किताब गौग़ा-फ़ा० (पु०) 1 शोर गुल्ल, हो हल्ला 2 अफ़वाह (जैसे-साहित्यिक ग्रंथ)। ~कर्ता ~कार (पु०) पुस्तक, गौचरी-(स्त्री०) चरवाहों से वसूल किया जानेवाला कर ग्रंथ का रचयिता, लेखक; -चुंबक (पु०) जो पुस्तक को गौड़-सं० (पु०) 1 भारतीय ब्राह्मणों की एक उपजाति 2 बंगाल सरसरी तौर पर देख जाता है, किसी विषय का छिछला
का पुराना नाम 3 प्रदेश के निवासी 4 कायस्थों की एक अध्येता; चुंबन (पु०) अध्ययन किए बिना पुस्तक को .उपजाति 5 एक राग जो संध्या समय हर जाति में गाई जाती है सरसरी तौर पर देख जाना; निर्देश (०) = ग्रंथ संकेत; गौड़ी-सं० (स्त्री०) 1 गुड़ से बनाई गई शराब 2 संध्या समय -~भांडार (पु०) पुस्तकालय; ~माला (स्त्री०) एक ही संपूर्ण जाति में गाई जानेवाली एक रागिनी
प्रकार की पुस्तकों की प्रकाशित होनेवाली पुस्तकों की श्रृंखला; गौण-सं० (वि०) 1 अप्रधान 2 जो मूल अर्थ से भिन्न हो।। रचना (स्त्री०), ~लेखन (पु०) पुस्तक लिखना; ~कर्म साधारण कर्म, सामान्य कार्य
विज्ञान (पु०) विज्ञान की पुस्तकें; विज्ञानी (पु०) गौणिक-सं० (वि०) 1 गुण संबंधी 2 गुणी, गुणवान विज्ञान की पुस्तकें पढ़नेवाला; विवरणी (स्त्री०) विवरण गौणी भक्ति-सं० (स्त्री०) पराभक्ति की पहली सीढ़ी सहित पुस्तक सूची; ~संधि (स्त्री०) ग्रंथ का विभाग; गौद गौदा-(पु०) = घौद
संकेत (पु०) पुस्तक चिहृन; संग्रह (पु०) ग्रंथावली; गौनहार-(स्त्री०) गौना समय दुलहिन के साथ ससुराल संधि (स्त्री०) ग्रंथ का कोई विभाग; ~सारिणी (स्त्री०) जानेवाली स्त्री
ग्रंथ सूची; साहब + हिं० (पु०) सिक्खों का धार्मिक ग्रंथ गौनहारिन, गौनहारी-(स्त्री०) निम्न कोटि की गाने-बजाने का | ग्रंथन-सं० (पु०) 1 ग्रंथ की रचना करना 2 गाँठना, गूंथना पेशा करनेवाली स्त्रियों का समाज जो प्रायः वेश्यावृत्ति भी 3 जोड़ना करती हैं
ग्रंथागार-सं० (पु०) ग्रंथ भांडार गौना-(पु०) विवाह पश्चात पति का अपने ससुराल से अपनी ग्रंथागारिक-सं० (पु०) पुस्तकाध्यक्ष
पत्नी को पहली बार अपने घर ले जाना, द्विरागमन । ग्रंथालय-सं० (पु०) पुस्तकालय गौर-I सं० (वि०) 1 गौर वर्ण का, गोरा 2 उज्वल, स्वच्छ | ग्रंथावली-सं० (स्त्री०) = ग्रंथमाला 3 श्वेत, सफेद II (पु०) 1 गोरा रंग 2 लाल रंग 3 पीला; | ग्रंथावलोकन-सं० (पु०) पुस्तक, ग्रंथ का अध्ययन ~वर्ण (वि.) = गौर
ग्रंथि-सं० (स्त्री०) 1 गाँठ, गिरह (जैसे-ग्रंथि सुलझाना) गौर-अ० (पु०) 1सोच-विचार, चिंतन 2 ख्याल, ध्यान | 2 गांठ के आकार की गोलाकार कड़ी वस्तु 3 शरीर के अंदर