Book Title: Sagarotpatti
Author(s): Suryamal Maharaj
Publisher: Naubatrai Badaliya
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सागराणां च ग्रन्थाद्वै तपा गच्छेविवेचना ।
तत्व ज्ञानाय सर्वेषां सागराणां निरूपिता ॥ १३१ ॥ न रागतो द्वेषतएव सम्यक् यर्थंतत्वस्य विवेचनार्थ । सम्पादिता सूर्य्यमलेन साध्वी संक्षम्यतांयत्रत्र टिस्त्र जाताः । १६२ वाणानिन्दचन्द्र दे मार्गमासे सितेत्वियम् ।
समाप्तिमगमत्तत्र तपागच्छविवेचना ॥ १६३॥
इति श्री सूर्य्यमलयति विरचिता तपाअच्छा विवेचना समाप्ति सगमत् ।
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