Book Title: Jinendra Stotram
Author(s): Rajsundarvijay
Publisher: Shrutgyan Sanskar Pith

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Page 7
________________ भाषा ग्रंथ परिचय मूल ग्रंथ का नाम : जिनेन्द्रस्तोत्रम् ग्रंथ का श्लोकमान : २७ : संस्कृत पद्य ग्रंथ गत विषय : श्री तीर्थंकरपरमात्मा की स्तवना वैशिष्ट्य : २५ श्लोक के प्रथम तीन चरण एकाक्षरी (एक स्वरमय एवं एक व्यंजनमय) तथा अन्त्य श्लोक वसंततिलकावृत्त में । ग्रंथकार पू.मुनि श्री राजसुंदर वि.जी म. रचना प्रारंभ माघ श्यामा पंचमी, वि.सं.-२०६५ मवाना (हस्तिनापुर समीप) वैशाख कृष्णा तृतीया, वि.सं.-२०६५ श्री सम्मेतशिखरजी महातीर्थ विशेष सत्यपुरतीर्थ से श्री सम्मेतशिखरजी महातीर्थ के छ’री पालक महासंघ अन्तर्गत प्रस्तुत ग्रंथ की रचना। वृत्ति का नाम : मञ्जुला वृत्ति का श्लोकमान : १४००.१० वृत्ति की भाषा : संस्कृत गद्य वृत्ति : स्वोपज्ञ अनुवाद : रुचिरा (गुजराती एवं हिन्दी में) पृथक् कृति : अर्हत्स्तोत्रम् : २२ + १८६ + ४ + १०४ रचना समापन पृष्ठ

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