Book Title: Jinendra Stotram
Author(s): Rajsundarvijay
Publisher: Shrutgyan Sanskar Pith

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Page 11
________________ वंदना अस्तु सदा गुरूणां मे क्रमयोर्वन्दना मम । मेरे गुरु के चरणों में मेरी सदा हो वंदना कच्छवागड देशोद्धारक प.पू.मुनिराज श्री जितविजयजी दादा के चरणों में... ध्यानमग्न प.पू.मुनिराज श्री हीरविजयजी दादा के चरणों में... व्यवहारकुशल प.पू.मुनिराज श्री बुद्धिविजयजी दादा के चरणों में... आत्मैकलक्षी प.पू.पन्यासप्रवर श्री तिलकविजयजी दादा के चरणों में... प्रशांततपोमूर्ति प.पू.आ.देव श्री शांतिचंद्रसूरीश्वरजी महाराजा के चरणों में... जीवदयाप्रेमी प.पू.आ.देव श्री कनकप्रभसूरीश्वरजी महाराजा के चरणों में... ज्ञानपिपासु प.पू.आ देव श्री भुवनशेखरसूरीश्वरजी महाराजा के चरणों में... ज्योतिर्विद् प.पू.आ.देव श्री सोमचंद्रसूरीश्वरजी महाराजा के चरणों में... समतानिधि प.पू.आ.देव श्री रत्नशेखरसूरीश्वरजी महाराजा के चरणों में... राजसुंदर विजय

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