Book Title: Jinendra Stotram Author(s): Rajsundarvijay Publisher: Shrutgyan Sanskar Pith View full book textPage 5
________________ मुनिश्री की आगामी ग्रंथरचना एकाक्षरकोशः स्वोपज्ञवृत्तिसहितः 'अ' कितने अर्थों में प्रयुक्त होता है - १-२-३ ? जी नहीं... ५० से भी अधिक अर्थों में..... 'ख' कितने अर्थों में प्रयुक्त होता है - २-४-६ ? जी नहीं... ६० से भी अधिक अर्थों में..... 'द' कितने अर्थों में प्रयुक्त होता है - ५-१०-१५ ? जी नहीं... ७० से भी अधिक अर्थों में.. प्रस्तुत ग्रंथ को देखने के लिए - पढने के लिए मन लालायित हुआ...? यदि हुआ तो बस अल्प समय की प्रतीक्षा कीजिए। - प्रकाशकPage Navigation
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