Book Title: Jain Tirth Yatra Vivaran
Author(s): Dahyabhai Shivlal
Publisher: Dahyabhai Shivlal

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Page 15
________________ ( ९ ) व चैत्यालय हो वहा जाकर उनका दर्शन करना चाहिये, उस शहरमें किस चीज़का व्यापार होता है वहाकी तिजारत क्योंकर वढी व घटी है. उसमें अधिकतर तिजारती कौन जाति है. अन्य शहरों की अपेक्षा उसमें क्या विशेषता है, उसमें किस धर्मकी प्रबलता है, तुम उससे क्या फायदा उठा सक्ते हो, नगर भरमें कहीं जैन पाठशाला है या नहीं, वहाके जैन बालकोंका कहापर पठन पाठन होता है इत्यादि बातोंका जरा गौरसे निरीक्षण करना चाहिये । १२. यात्रामें नियमित भोजन करना चाहिये तथा बहुत खट्टे व व तीखे स्वादसे परहेज करना चाहिये. कोई तीर्थका पानी भारी हो तो उसको उबालकर उपयोगमें लाना चाहिये. १३. दक्षिण भारत से उत्तर भारत में तथा बंगाल प्रान्तमें अधिक उड पढ़ती है इसलिये यात्राके योग्य गरम कपड़े अपने साथ लेजाना चाहिये. १४. रेलवे यात्रामें ज्यादा वजनकी चीजको अच्छी तरहसे बांध करके लगेज व ब्रेकमै दे देना चाहिये जिससे हर स्टेशनपर उसको उठानेकी तकलीफ न हो. तथा चोर व बदमाशोंसे हर समय सावधान रहना चाहिये. छोटे मोटे बच्चे जिन यात्रियों के साथ हों उन लोगोंको रातके बदले दिनमें ही रेलकी यात्रा करनी चाहिये क्योंकि रातको रेलमें प्रायः ज्यादा भीड़ होती है, बच्चोंकी नींद में बाधा पड़ती है, रातको सोते रहनेसे रेलमें चीज चोरीजाने का मय रहता है. दिनमें इन तकलीफोंसे बच सक्ते है व जिस

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