Book Title: Jain Tirth Yatra Vivaran
Author(s): Dahyabhai Shivlal
Publisher: Dahyabhai Shivlal

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Page 23
________________ (१७) ५. दक्षिण प्रान्त और मैसूर प्रान्तमें सिद्धक्षेत्र १ और अतिशयक्षेत्र १४ है। सिद्धक्षेत्र-कुंथलगिरी. अतिशयक्षेत्र-इलोरा, कचनेरा-पार्श्वनाथ, कुन्डल, कुम्भोन कारकल, जैनबद्री, दहीगाव, मूडबद्री, वेणूपुर, वरान्द, स्तवनिधी, शोलापुर, श्रवणबेलगोला ( श्वेत सरोवर ) हूमसके पद्मावती।। ६. वरार ( विदर्भ ) और मध्यभारतमें सिद्धक्षेत्र १ और अतिशयक्षेत्र ४ है। सिद्धक्षेत्र-मुक्तागिरी। अतिशय क्षेत्र अंतरीक्ष पार्श्वनाथ (शिरपुर ) कारंजा, भातकुली, रामटेक। ७. बुन्देलखन्डमें सिद्धक्षेत्र ३ और अतिशयक्षेत्र ५ है । सिद्धक्षेत्र-द्रोणागिरी, नैनागिरी, सोनागिरी. अतिशय क्षेत्र-कुंडलपुर, खनराहा, ग्यालियर, थोवनना और पपोरानी। ८. बम्बई प्रान्तमें सिद्धक्षेत्र २ है-गजपंथानी और मागीतुंगी। नोट-ऊपर लिखे हुए तीर्थोसे और भी तीर्थ ऐसे हैं जो अपने २ जिलोंमे प्रसिद्ध हैं बाहर उनकी बहुत कम प्रसिद्धि है, इसी कारण उन तीर्थोका हाल लेखकको पूरा न मिलनेसे वे यहाँपर नहीं लिखे गये, जिन महाशयोंको उनको यात्रा करना होवे उस जिलेके निवासियोंसे उसका हाल पूंछ लेवें ।

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