Book Title: Jain Tirth Yatra Vivaran
Author(s): Dahyabhai Shivlal
Publisher: Dahyabhai Shivlal

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Page 72
________________ ( ६२ ) शास्त्रोके आधारसे लिखा है प्रत्येक धावकको इसे अपनेपास खरीद कर रखना चाहिये । मूल्य २1) रक्खा है । सुन्दर जिल्द वैधी है । गोमट्टसार - यह भाषा टीका सहित छपा है इस ग्रंथकी प्रशंसा करनेकी जरूरत नहीं है। कीमत दो रुपया । भगवती आराधना - यह ग्रथ खुले पत्रोंमे छपा है । पं सदासुखदासजीकृत वचनिका सहित । इसमे शुद्ध निश्चय नयका वर्णन है । मूल्य चार रुपया । जिनेन्द्र गुण गायन -गजल, कव्वाली, दादरा रेखता, ठुमरी, टप्पा, केहरवा, होली इत्यादि के ८० भजन इसमे सग्रह किये हैं, सर्व ही नई तर्जके हैं । मूल्य दो आना । जैन उपदेशी गायन -इसमें भी ऊपर की भाति ५३ भजनोंका संग्रह किया है। मूल्य अढ़ाई आना । जैनार्णव- १०० पुस्तकोंका सग्रह | सफरमे इसे साथ रख लीजिये और - अच्छे २ स्नात्रोका स्वाध्याय करते जाइये । मूल्य सादी १) सजिल्द ११ ) श्रेणिक चरित्र - महाराज श्रेणिक राजा की कथा बड़ीही सुन्दर है । आज कलकी भाषामे संस्कृत परसे अनुवाद किया है । जिल्द बहुत बढ़िया बॅधवाई गई है | मूल्य १ || | ) नाटक समयसार - भाषा टीका वचनिका खुले पत्रोंमे । मूल्य २ || ) भक्तामर कथा -- यंत्र जत्र और साधनविधि सहित मूल्य सादी १ ) -सजिल्द १1) अष्टसहस्त्री -- यह संस्कृत भाषामें है, अभी हालही में छप कर तैयार हुआ - हैं । प्रत्येक मंदिरोंमें इसकी प्रति अवश्य रहना चाहिये | मूल्य २ ॥ ) जैन सम्प्रदाय शिक्षा -- यह ग्रंथ भी हिन्दी भाषा है । प्रत्येक जैनीभाईको मगाना चाहिये । सजिल्दका मूल्य ३॥ ) - न्यायदीपका --- हिन्दी भाषा टीका सहित सर्वके समझने योग्य । मूल्य ॥) चर्चाशतक -द्यानतरायजीका बनाया हुआ है सरल हिन्दी भाषा टीका सहित | मूल्य ॥]

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