Book Title: Jain Tirth Yatra Vivaran
Author(s): Dahyabhai Shivlal
Publisher: Dahyabhai Shivlal

View full book text
Previous | Next

Page 74
________________ ( ६४ ) स्वाध्यायोपयोगी जैनमन्थ । भाषा सर्वार्थसिद्धि वचनिका 'आत्मख्यातिसमयसार पद्मनन्दीपच्चीसी गाम्मटसार कर्मकाड पुरुषार्थसिद्धयुपाय प्रवचनसार ३] षट्पाहुड़ ज्ञानार्णव ४] धर्मविलास पाडवपुराण यशोधरचरित्र वड़ा सप्तव्यसनचरित्र धन्यकुमार चरित्र चारुदत्तचरित्र श्रेणिकचरित्र १॥] महावीरचरित्र धर्मरत्नो द्योतक सम्यक्त कौमुदी प्रवचनसार बनारसीविलास द्यातनविलास विश्वलोचनकोष भगवती आराधना स्याद्वादमज नाटकसमयसार ४] ४] वृहद्रव्यसंग्रह मोक्षमार्गप्रकाश द्रव्यसंग्रह चर्चाशतक २) न्यायदीपिका १] | प्रद्युम्नचरित्र बढ़ा ४] "" १] | प्रद्युम्नचरितसार १] | जम्बूस्वामीचरित्र २] | भद्रबाहुचरित्र २] || अष्टसहस्री 1] | प्रेमयकमलमार्तड १] शाकटायन प्रक्रिया 1 सुभाषित रत्न सदेह १] | प्रमेय रत्नमाला १] | जीवधर चरित्र 9173 | नेम निर्वाण काव्य १] | चन्द्रप्रभु चरित्र १] धर्मशर्माभ्युदय 917 ] | द्विसधान काव्य ४] | यशस्तिलक चम्पू पूर्वार्ध ४] उत्तरार्ध 59 संस्कृत 2077977070.27227♚♚72 Riy शु २] सर्व तरहके ग्रथ मानेका पता - - म्यानेजर - जैनग्रंथ उद्धारक कार्यालय, चदावाडी - गिरगाव बम्बई.

Loading...

Page Navigation
1 ... 72 73 74 75 76 77