Book Title: Jain Tirth Yatra Vivaran
Author(s): Dahyabhai Shivlal
Publisher: Dahyabhai Shivlal

View full book text
Previous | Next

Page 62
________________ (५२) यहा दिगंवरी आम्नायके ६ मंदिर है. हालमें जो नया मंदिर बना है वह रामकीसनदासकी धर्मशालाके नजदीक अपर चितपुररोड नं. ८२ में बहुतही मनोज्ञ वना है. अलावे इसके पुरानामंदिर, अमृतलागलीमें १ हरिपदोबाबूकी गलीमें पुराणीवाडीका मंदिर व कोलूटोलामें एक एक मंदिर है. एक मंदिर वेलगछियामें धर्मशालासे करीब दो माईलकी दूरीपर वीमें है. ट्रामगाड़ी द्वारामी इस वीचेमें शामबजार होकर जा सकते हैं. ___ मंदिरोंके दर्शनके अलावे यहा अजायबघर, चिडियाखाना-दुलीचंदनीका बगीचा, राय वद्रिदासजीका मंदिर (श्वेतांवरी) (जो माणिकटोलामें है ) किल्ला फोर्ट विलियमका हायकोर्ट-डेलहाउसी स्क्वेयर-इम्पीरीयल लायब्रेरी-कालीजीका मंदिर आदि स्थान देखने योग्य है. बनारस-गंगाजीके किनारे पर यह शहर है. मुगलसराय स्टेशनसे आते समय गंगाजीके पुलपरसे इस शहरका दृश्य बहुतही सुंदर मालूम पड़ता है. ___ यह बहुत प्राचीन शहर है । राजघाट उर्फ काशी स्टेशन या बनारस छावणी स्टेशनसे करीव १ मील दूरपर मैंदागिनीमें विहारीलालकी धर्मशाला चोकपर टाउनहॉलके नजदीक है वहां या भीलपुरमें भी धर्मशाला है वहां ठहरें. मेंदगिनीमें धर्मशालावा मंदिर है। वहांसे दर्शनकरके भीलपुराका दर्शन करके शहरमें दो मंदिर और चैत्यालय भी है उनका दर्शन करें।

Loading...

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77