Book Title: Jain Tirth Yatra Vivaran
Author(s): Dahyabhai Shivlal
Publisher: Dahyabhai Shivlal

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Page 45
________________ (३९) एंकोंके तीर्थकरोंके नाम, नाम. कितने मुनि मोक्षगये. दर्शन करनेका फल. ललित भजी चोरासी अरव, बीस कोड़ि, बहत्तरलाख, चोरासी हजार, पां चसो पञ्चावन | सोला लाख अस्सी हजारप्रोषधोपवासका फल सुप्रभ | पुष्पदंत निन्यानवे कोड़, नव__ लाख, सात हजार सातसो अस्सी एककोड़ प्रोषधोपवासका फल ९ विद्यत | शीतल अठारा कोड़ा कोड़ि, वि. शीतल ] यालीस कोडि, बत्तीस नाथ लाख, बियालीस ह जार नवसो पांच एककोड़ प्रोषधो पवासका फल श्रेयांस । छयानव संकुल छयानवे कोड़ा कोड़ि, | छयानवे कोड़ि, छया- | वत्तीसकोड़ प्रोष नवे लाख, नवहजार धोपवासका फल पचिसो बियालीस नाथ - पार | विमल | सत्तर कोडि साठलाख छ हजार सातसो, बियालीस एककोड़ प्रोषधोपवासका फल. नाथ स्वयंभू अनंत नाथ छयानवे कोड़ा कोड़िसत्तर कोड़ि सत्तर लाख सत्तर हजार सातसो एककोड़ प्रोषधो पवासका फल

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