Book Title: Jain Tirth Yatra Vivaran
Author(s): Dahyabhai Shivlal
Publisher: Dahyabhai Shivlal

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Page 70
________________ ( ६० ) श्रीजैनग्रन्थ उद्धारक कार्यालय चंदावाड़ी बम्बईका सूचीपत्र | खासकी छपाई हुई पुस्तकें ५ के मूल्यमें ६ भेजी जा सकती हैं। समयसार नाटक - स्वर्गीय कविवर वनारसीदासर्जाका नाम किसने न सुना होगा, उनकी कविता कैसी है इसका निर्णय करना हम पाठकोके ऊपरही छोड़ते हैं. यह ग्रंथ १३६ पृष्टका चिकने कागजपर छपकर हालहीमे तैयार हुआ है | अध्यात्म प्रेमियोंको इसकी एक प्रति अवश्य मंगाकर देखना चाहिये । पाठशालाओंके संचालकोंसे निवेदन है, कि, वे विद्यार्थियोंको इसे कठ करावें । मूल्य आठ आना । जैनगीतावली - यह पुस्तक स्त्रीयोपयोगी है सो भी बुन्देलखण्ड प्रान्तके लिये अधिक उपयोगी होगी कारण इसके लेखक महाशय उसी प्रान्तके हैं । पुत्रोत्पत्ति, ज्योंनार, विवाह, मुण्डन, वन्दनादि सुअवसरोंपर गाने योग्य उत्तम २ धार्मिक गीतोका संग्रह है । थोड़ीसी प्रतियॉ शिलकमे हैं जल्दी मगाइये । दाम पाच आना । स्वर्गीय जीवन -- एक अग्रेजी पुस्तकका हिन्द के सम्राट पं. महावीरप्रशादजी द्विवेदीने निम्नप्रकार विषय हैं । अनुवाद है इसकी सरस्वतीमें मुक्तकठसे प्रशंसा की है । इसमे ( १ ) विश्वका उत्कृष्ट तत्त्व, (२) मनुष्य जीवनका परमतत्व (३) जीव-नकी पूर्णता शारीरिक आरोग्य और शक्ति ( ४ ) प्रेमका परिणाम ( ५ ) पूर्ण शातिकी सिद्धि (६) पूर्ण शक्तिकी प्राप्ति ( ७ ) सब पदार्थोंकी विपुलता - समृद्धिशाली होनेका नियम । ( ८ ) महात्मा सत और दूरदर्शी होनेके नियम । ( ९ ) सब धर्मोका असली तत्व - विश्वधर्म (१०) सर्व श्रेष्ठ धन प्राप्त करनेकी रीति । पृष्टसख्या १६२ | मूल्य ग्यारह आना | सजिल्द || । लघुअभिषेक - - इसमे निम्नप्रकार विषय हैं । अधिकतर वीसपंथी भाइयोंके कामकी है भापा कुछ गुजराती तथा हिन्दी है ।

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