Book Title: Bhagwati Sutra Part 04
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1081
________________ 正 भगवती सूत्रे २०५८ वर्तते, यतो हि समजलान्तस्योपरिभागे एकत्रिंशत्यधिकसप्तदशशतयोजनानि यावत् तमस्कायस्य वलयवत्संस्थानं वर्तते, उपरि ऊर्ध्वं तु कुक्कुटपञ्जरकसंस्थितः कुक्कुटस्य पञ्जरवत् संस्थानम् आकारः प्रज्ञप्तः । अधः संकुचितः मध्ये विस्तीर्णः, उपरि पुनः संकुचितः, एतादृशाकारस्तमस्कायः प्रज्ञप्त इति । गौतमः पुनः पृच्छति , " , तमुक्काए णं भंते ! केवइयं विक्खंभेणं, केवड्यं परिक्खेवेगं पण्णत्ते ? भदन्त 1 तमस्कायः खलु कियान् विष्कम्भेण बाहल्येन स्थूलत्वेनेत्यर्थः तथा कियांच कियपरिमितः परिक्षेपेण परिधिना परिधिमाश्रित्य विस्तारः प्रज्ञप्तः प्रतिपादितः १ भगवानाह - ' गोयमा ! तमुक्काए णं दुविहे पण्णत्ते तं जहा - संखेज्नवित्थडे य कुक्कुडपं जरगसंठिए) हे गौतम । तमस्काय का नीचे का आकार मल्ल मूल-मिट्टी के दीपक के अधोभाग के जैसा कहा गया है क्यों कि सम जलान्तके ऊपरभागमें १७२१ योजन तक तमस्कार्य का आकार बलयके समान गोल है और ऊपर में तमस्कायका संस्थान आहार- मुर्गा के पींजरे के समान कहा गया है- क्योंकि मुर्गे का पींजरा नीचे के भाग में संकुचित, मध्य में विस्तीर्ण और ऊपर में संकुचित होता है सो इसी तरह का ऊपर का आकार तमस्काय का है । अब गौतम स्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं कि - (तमुक्काए णं भंते! केवहयं विक्खंभेणं, केवइयं परिक्खेवेणं पण) हे भदन्त । तमस्काय विष्कंभ - स्थूलता की अपेक्षा कितना बड़ा है और परिक्षेप - परिधि की अपेक्षा कितना बड़ा है ? अर्थात् तमस्काय का विष्कंभ और परिक्षेप कितना है ? इसके उत्तर में प्रभु ने उनसे ऐसा कहा कि - ( गोयमा । तमुक्काए णं दुविहे पण्णत्ते ) हे गौतम! • તમસ્કાયના નીચેના ભાગના આકાર માટીના દીપકના ( કેડિયાના ) તળિયા જેવા કહ્યો છે-કારણ કે સમજલાન્તના ઉપરના ભાગમાં ૧૭૨૧ ચાજન સુધી તમરાયના આકાર વલયના જેવા ગેાળ છે અને ઉપરના ભાગનાં આકાર કૂકડાના પાંજરા જેવા કહ્યો છે, કારણ કે કૂકડાનું પાંજરૂં નીચેના ભાગમાં સ’કીણ ( સંકુચિત ), મધ્યમાં વિસ્તી અને ઉપરના ભાગમાં સ’કુંચિત હાય છે. તમસ્કાયના ઉપરના ભ ગનેા આકાર પણ એવા જ હાય છે. હવે ગૌતમ સ્વામી તમસ્કાયના વિચાર આદિ વિષે મહાવીર પ્રભુને नीचे अभा अश्न पूछे छे - ( तमुकार णं भंते! विक्खभेणं, केवइयं ह्यो छे ? केवइयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? ) हे लहन्त ! तमस्अयना विस्तार डेंटलेो तेन परिक्षेय ( परिध ) डेटा ह्यो छे ? उत्तर- " गोयमा ! तमुक्काए णं दुविहे पण्णत्ते' हे गौतम ! तमस्था t

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