Book Title: Bhagwati Sutra Part 04
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1116
________________ प्रधनन्द्रिका टी० शे० ६ उ० ५ ० २ कृष्णराजिस्वरूप नरूपणम् १०१३ त्रिकोणे स्तः, शेषाः सर्वाः अपि चतुर्दिग्रभागाभ्यन्तरवर्तिन्यश्वतस्रोऽपि कृष्णराजयः चतुरस्राः चतुष्कोणा एव सन्तीति संग्रहगाथार्थः ॥ १ ॥ गौतमः पृच्छति - ' कण्हराईओ णं भंते ! केवइयं आयामेणं, केवइयाओ विक्रमेणं, केवड्याओ परिक्खेवेणं पण्णत्ताओ ? ' हे भदन्त ! कृष्णराजयः खलु कियत्यः- कियत्परिमाणा आयामेन दैर्येण प्रज्ञप्ताः १, कियत्यच विष्कम्भेण विस्तारेण प्रज्ञप्ताः कियत्यश्च परिक्षेपेण परिधिना प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह - 'गोयमा ! असंखेज्जाई जोयणसहस्साइं आयामेणं ' हे गौतम ! कृष्णराजयः आयामेन दैर्येण असंख्येया नियोजन सहस्राणि वर्तन्ते, तथा 'संखेज्जाई जोयणसहस्ताई विक्खंभेणं ' संख्येयानि योजन सहस्राणि विष्कम्भेण विस्तारेण वर्तन्ते, एवम् ' असंखेज्जाहूं जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पण्णत्ताओ' असंख्येयानि योजन सहस्राणि परिक्षेजियां तीन कोने वाली हैं-अर्थात् तिखूंटी हैं। बाकी की चारों दिशाओं की अभ्यन्तर कृष्णराजियां सब चार कोनों वाली ही हैं ऐसा इस गाथा का अर्थ है | अब गौतम प्रभु से पूछते हैं कि- (कण्हराईभ णं भंते! केवहयं आयामेणं, केवइयं विक्खंभेणं पण्णत्ता ) हे भदन्त ! ये कृष्णराजियां आयाम की अपेक्षा कितनी लंबी हैं और विष्कंभ की अपेक्षा कितनी चौडी हैं तथा इनका परिक्षेत्र कितना है - इसके उत्तर में भगवान् ने उनसे कहा- (गोयमा) हे गौतम ! (असंखेज्जाई जोपणसहस्साई आयामेणं) कृष्णराजियां आयाम - लंबाई की अपेक्षा से असंख्यात हजार योजन की हैं तथा - (विक्खंभेणं संखेज्जाई जोयण सहस्साई ) विस्तार की अपेक्षा से संख्यात हजार योजन की हैं। और ( असंखेज्जाई બહાર આવેલી એ કૃષ્ઠુરાજિએ ત્રણ ખૂણાવાળી છે, ખાકીને એટલે કે ચારે દિશાઓમાં અંદર આવેલી ચારે કૃષ્ણરાજિા ચાર ખૂણાવાળી છે. હવે ગોતમ તેમના વિસ્તાર આદિ વિષે આ પ્રમાણે પ્રશ્ન પૂછે છે.. ( कण्हरा ईओण भते ! केवइयाँ आयामेण केवइय' विक्ख मेण, पण्णत्ताओ ? ) હું ભઇન્ત 1 કૃષ્ણરાજિઓની લબાઈ કેટલી છે ? તેમની પહેાળાઇ કેટલી છે ? तेभनी परिधि (परिमिति ) भेटसी छे ? तेन। उत्तर भायता महावीर प्रलु उडे - ( गोयमा ! ) डे गौतम ! (अस खेज्जाद जोयणसहस्लाई आयामेण ) धृष्णुराभिमानी समाई असण्यात उत्तर योजननी छे, ( विक्खंभेणं सखेज्जाई जोयणसहरसाई ) भने तेमनी भडोलाई संख्यात बेलर योजननी छे, भने ( असंखेज्जाइ जोयणसहस्सा'

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