Book Title: Bhagwati Sutra Part 04
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1109
________________ भंगवती अस्ति खलु भदन्त ! कृष्णराजिषु बादरोऽपकाया, बादरोऽग्निकायः, वादरोवन-. स्पतिकायः ? नायमर्थः समर्थः, नान्यत्र विग्रहगतिसमापनकेन । सन्ति खल भदन्त ! चन्द्र-सूर्य-ग्रहगण-नक्षत्र-तारारूपाः ? नायमर्थः समर्थः । अस्ति खल कृष्णराजिपु चन्द्रामा इति वा, सूर्याभा इति वा, ? नायमर्थः समर्थः । कृष्णराजयः ( अत्थि णं भंते ! कण्हराईट बायरे थणियसद्दे ) हे भदन्त ! कृष्णराजियों में क्या घनगर्जनात्मक बादर स्तनितशब्द होता है ? उ (जहा. उराला तहा) हे गौतम ! जिस प्रकार से उदार मेघ कहे गये हैं-उसी. प्रकार से जानना चाहिये। (अंत्थि णं भंते ! कण्हराईसु बायरे आउ. काए थायरे अगणिकाए, बायरे वणस्सइकाए ?) हे भदन्त ! कृष्णरा: जियों में क्या बादर जलंकाय है ? बादर अग्निकाय है? बादर वनस्पति: काय है ? (णो इणडे समढे) हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है, पर हां (णण्णत्थ विग्गहगइसमावन्नएणं) विग्रहगतिसमापन्नक ये जीव वहां पर हैं । ( अस्थिणं भंते चंदिम-सरिय-गहंगण-नक्खत्त-तारारूवा) हे भदन्त ! कृष्णराजियों में चन्द्रमा, सूर्य, ग्रहगण, नक्षत्र और तारारूप हैं क्या ? (णो इणढे समढे) हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। (अस्थि णं कण्हराईणं चंदाभाइ वा, सूराभाइ वा ?) हे ,भदन्त ! कृष्णराजियों में क्या चंद्रमा की कान्ति है ? सूर्य की कान्ति है.? (णो (अस्थिण भते ! कण्हराईसु बायरे थणिय सहे १) 3 Heri !'gog. જિએમાં શું મેઘના ગર્જન રૂપ બાદર રતનિત શબ્દ થાય છે ખરું? (जहा उराला तहा) ॐ गौतम ! विश मेवाना विषयमा ४ प्रभारी विषयमा पY समा. ( अत्थि ण भंते ! कण्हराईसु बायरे आउकाए, पायरे अगणिकाए,भायरे वणस्सकाए ?) B महन्त ! रानिमामा पशु બાદર અપૂકાય, બાદર અગ્નિકાય અને બાદર વનસ્પતિકાય છે? - , (णो इणटूठे समठे) गीतम! त्यो त पY सलवा शsd थी.(णण्णस्थ विगहगह समावन्नएंण') पण त्या विमतिप्रास ते वाडाय छे. (अत्थिण' भते! चंदिम, सूरिय, गहगणनक्खत्त, 'तारारूवा) 3 महन्त ! કશુરાજિઓમાં શું ચન્દ્રમા, સૂર્ય, ગ્રગણું, નક્ષત્ર અને તારાઓ હોય છે? (णो इणठे समठे) गौतम ! म य द्रमा-मान्यतिषि: हेवे। all नथी. ( अस्थिण भते ! कण्हराईण चैदाभाइ वा, सूराभाई वा १) atral શુરાજિએમાં શું ચન્દ્રને પ્રકાશ હાર્યા છે ? સૂર્ય પ્રકાશ હોય છે? -

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