Book Title: Bhagwati Sutra Part 04
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1111
________________ १०८८ भगवतोत्रे अप्परिणामाः, जीवपरिणामाः, पुद्गलपरिणामाः ? गौतम ! पृथिवीपरिणामाः, नो अष्परिणामाः, जीवपरिणामा अपि, पुद्गलपरिणामा अपि । कृष्णराजिषु खलु भदन्त ! सर्वे प्राणाः, भूताः, जीवाः, सच्चा उपपन्न पूर्वा: १ हन्त गौतम ! असकृत्, अथवा अनन्तकृत्वः, नो चैव वादराकायिकतया, बादराग्निकायिकतया बा, बादरवनस्पतिकायिकतया वा ॥ ०२ ॥ पुढवीपरिणामाओ, आउपरिणामाओ, जीवपरिणामाओ, पोग्गलपरि(माओ) हे भदन्त | कृष्णराजियां क्या पृथिवी के परिणामरूप हैं ? या अकाय के परिणामरूप हैं ? या जीव के परिणामरूप हैं ? या पुद्गल के परिणामरूप हैं ? ( गोयमा ) हे गौतम । ( पुढविषरिणामाओ ) ये कृष्णराजियां पृथिवी के परिणमरूप हैं । ( ज़ो आउपरिणामाओ) अपूकाय के परिणामरूप नहीं हैं। (जीव: परिणामाओ वि, पुग्गल परिणामाओ वि) जीव के परिणाम रूप भी ये कृष्णराजियां हैं और पुल के परिणामरूप भी हैं । ( कण्हराईसु णं भंते । - सवे पाणा, भूषा, जीवा, सत्ता उबवण्गापुव्वा ) हे भदन्त । कृष्णराजि यों में समस्त प्राण, समस्त भूत, समस्त जीव, समस्त सत्त्व क्या पहिले उत्पन्न होचुके हैं ? (हंता, गोयमा । असई अदुवा अनंतक्खुत्तो, णो चेवणं बायर आउकाइयन्ताए बायर अगणिकाइयत्ताए वा बायर वणस्सइकाइयत्ताए वा ) हां गौतम ! समस्तप्राणादि जीव अनेक बार " ( कण्हराईओण भते ! किं पुढवी परिणामाओ, आउपरिणामाओ, जीव परिणामाओ, पोग्गल परिणामाओ ? ) डे महन्त 1 शुं कृष्णुरानियो, पृथ्वीना પિરણામ રૂપ છે ? કે અપ્લાયના પિરણામ રૂપ છે ? કે . જીવના પરિણામ રૂપ છે ? કે પુદ્ગલના પરિણામે રૂપ છે ? बे ( गोयमा ! ) डे गौतभ ! ( पुढवि परिणामाओ ) ते कृष्णुरानियो पृथ्वीना 'परिणाम ३५ 'छे, ( णों आउपरिणामांओ ) अयूजयना परिशुभ ३५ नथी. ( जीव परिणामाओ वि, पुग्गल परिणामाओ वि) ते दृष्ट्रान्नियो भवना પરિણામ રૂપ પણ છે અને પુદ્ગલના પિરણામ રૂપ પણ છે. ( कण्हराई भते ! सव्वे पाणा, भूया, जीवा, सत्ता, उववण्णपुव्वा १ ) હે ભદન્ત ! કૃષ્ણરાજિએમાં સમસ્ત પ્રાણુ, સમસ્ત ભૂત, સમસ્ત જીવ અને સમસ્ત સત્વ શું પહેલાં ઉત્પન્ન થઇ ચુકયાં છે ? ( इंता, गोयमा ! असई, अदुवा अण तक्खुत्तो, णो चेव णं बायर आउ काइयत्ताए बायर अगणिका इयत्ताए वा, वायर वणस्सइकाइयत्ताए वो ) 1, ગૌતમ ! સમસ્ત પ્રાણાદિ જીવ અનેકવાર અથવા અનતાર ત્યાં ઉત્પન્ન થઈ ચુકયા છે. પરન્તુ તેઓ ત્યાં માદર અાયિક રૂપે ઉત્પન્ન થયા નથી,

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