Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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[] विषय
कभी २ ग्रामको प्राप्त नहीं करते थे अर्थात् ग्रामसे दूर अरण्य आदिमें स्थित मार्गपर होते उसी समय ग्रामवासी अनार्य
लोक आकर भगवानको परीषहोपसर्ग किये। १७ नवमी गाथाका अवतरण, गाथा और छाया। १८ भगवान् विहार करते हुए ग्रामके समीप पहुंचते थे कि
ग्रामवासी लोग आकर उन्हें दण्डे आदिसे ताडित करते
थे और कहते थे कि यहांसे चले जाओ। १९ दसवीं गाथाका अवतरण, गाथा और छाया । २० अनार्य लोग भगवान् को दण्डे आदिसे आहत कर हल्ला
मचाते थे। २१ ग्यारहवां गाथाका अवतरण, गाथा और छाया। २२ भगवान् के शरीरमें जहां कहीं घाव था वहीं ये अनार्य लोग
नोचते थे और भगवान के ऊपर धूलि डालते थे। ५८९-५९. २३ बारहवीं गाथाका अवतरण, गाथा और छाया। ५९० २४ भगवान्को कितनेक अनार्य ऊपर उठाकर पटक देते थे,
कितनेक उन्हें आसनसे गिरा देते थे; इन सभी उपसर्गोंको कायोत्सर्गस्थित धर्मध्यानलीन भगवान्ने समतापूर्वक सहा । ५९०-६९१
तेरहवीं गाथा का अवतरण, गाथा और छाया। २६ संग्राम के अग्रभागमें शूर वीर पुरुषके समान भगवान वहाँ
पर मुख मोड़े विना आगे आगे विहार करते थे। ५९१-५९२ २७ चौदहवीं गाथा का अवतरण, गाथा और छाया। ५९२-५९३ २८ भगवान महावीरने इस प्रकार के उपसर्ग परीषहों को इसलिये
सहा कि दूसरे मुनि भी मेरे देखादेखी उपसर्ग-परीषहों के सहनेमें दृढ रहें। उद्देश समाप्ति ।
॥ इति तृतीय उद्देश संपूर्ण ॥
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श्री. मायाग सूत्र : 3