Book Title: Swayambhu Stotram Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 5
________________ प्रकाशकीय वक्तव्य यह 'स्वयम्भूस्तोत्र' अपने अनुवादके साथ बहुत अर्सा हुआ छपचुका था, देहली प्रेसमें ही रक्खा हुआ था और प्रकाशनके लिये 'प्रस्तावना' की वाट जोह रहा था । ग्रन्थके मर्सका उद्घाटन करते हुए इसकी प्रस्तावनाको मैं जिस रूपमें लिखना चाहता था उसके अनुरूप मुझे यथेष्ट अवसरके साथ चित्तकी स्थिरता और निराकुलता नहीं मिल रही थी--में निरन्तर ही कुछ ऐसी परिस्थितियों एवं अनवकाशोंसे घिरा रहा हूँ जिनके कारण ह्रदय तथा कागज पर कुछ नोटोंके अंकित रहते हुए भी अभीष्ट प्रस्तावनाके लिखने में मेरी प्रवृत्ति नहीं हो सकी। सचमुचमें किसी विशिष्ट साहित्यका सृजन अथवा सरस्वती देवीकी मूर्तिके अङ्गविशेषका निर्माण अपने लिये बहुत कुछ अनुकुलताओंकी आवश्यकता रखता है, वे जब तक नहीं मिलती तब तक इच्छा रहते भी यथेष्ट कार्य नहीं हो पाता। यही वजह है कि इस ग्रन्थके प्रकाशनमें आशातीत विलम्ब हो गया है और उसके कारण कितने ही पाठकोंको बहुत कुछ प्रतीक्षाजन्य कष्ट उठाना पड़ा है, जिसका मुझे भारी खेद है। परन्तु मैं अपनी परिस्थितियोंके कारण मजबूर था । यदि प्रकाशनका अधिकारी कोई दूसरा होता तो यह ग्रन्थ कभीका बिना प्रस्तावनाके ही प्रकाशित हो जाता । परन्तु प्रस्तावना-लेखक और प्रकाशनका अधिकारी दोनों में ही ठहरा, और मैंने इस सानुवाद ग्रन्थको अपनी प्रस्तावनाके विना प्रकाशित करना उचित नहीं समझा, इसीसे प्रकाशनको इतने विलम्बका मुंह देखना पड़ा है। अस्तु; जब विलम्ब असह्य हो उठा तब जैसे तैसे कुछ समय निकालकर और अपनी शक्तिको इधर-उधरसे बटोरकर मैं प्रस्तावनाके लिखनेPage Navigation
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