Book Title: Sanskrit and Prakrit Manuscripts Jaipur Collection Part 11
Author(s): M Vinaysagar, Jamunalal Baldwa
Publisher: Rajasthan Oriental Research Institute Jodhpur
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516 Rajasthan Oriental Research lastitute, Jodhpur. (Jaipur-Collection) Post-colophon : संघत् १७४५ वर्षे मिति मगसर सूदि ४ दिने लि० मुनिः श्रीगोकलजी
मोटा पठनार्थम् ।
___ संवत् १७४५ वर्षे श्री मनदसोर मध्य मगसर सूदि ७ दिने सोमवासरे ऋषि श्री मोटा पठनार्थ । श्री:
1414/7110 (4) षडावश्यकसूत्र-सबालावबोधः
Opening :
शिवाय श्रीमहावीरः सुरासुर नमस्कृतः । चतुर्विधस्य संघस्य भवतात् गौतमान्वितः ।।१।। प्रवरे खरतरगच्छे श्रीमज्जिनभद्रसूरयोऽभूवन् । तत्पट्टे विजयन्ते श्रीमज्जिनचन्द्रसूरयो गुरवः ।।२।। षडावश्यकसूत्राणां तेषामादेशतो मया ।। बालावबोध: संक्षेपात् लिख्यते प्रकटार्थवान् ।।३।।
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Closing :
हिव पडिक मरणानी संपूर्ण विधि कहतउ । अवसान मंगल कहई । एवमाईय पइसी परि सघलांइ पाप गुरु आगलि सूधां प्रकाशि प्रकट करी निंदा दुगंछा करी, तिविहेण कहतां मन वचन काया करी पाप हतउ निवर्ती च उ वीसइ जिनेन्द्र ने वांदउ नमस्करउ ।।५।।
Colophon :
इति श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-बालावबोधः ॥छ।।
1428/4441 अजितशान्तिस्तोत्र-सबालावबोधः
Opening:
नमस्कृत्याजितं शान्ति स्वगुरुश्च सरस्वतीम् । वार्ताभिरजित शान्त्यो: स्तवस्यार्थो मयोच्यते ।।१।।
अजियं जियसव्वभयं संतित पसंत सव्वगयपावं जय गुरु संति गुण करे, दो वि जिणवरे पणिवयामि ।।१।। गाहा
'अजिय' अजितनामा बीजउ तीर्थ कर । ते किसउ छई ? 'जिय सव्वभयं' जिय कहीयइ जीता, सर्व कहतां सघलाई भय जिणइ । ते कहा ?
इह-परलोयाबलमकम्हा आजीव मरणमसलोए । एए सत्तभयाई पन्नता वीयराएहिं ।।१।।
ए सात भय जीता। अनइ शान्तिनाथ पंचमउ चक्रवत्ति सोलमउ तीर्थ कर ते किसउ छइ ? 'पसंत सव्वगयपावं' पसंत कहइ उपशम्या गया सर्व पाप
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