Book Title: Sanskrit and Prakrit Manuscripts Jaipur Collection Part 11
Author(s): M Vinaysagar, Jamunalal Baldwa
Publisher: Rajasthan Oriental Research Institute Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 630
________________ Catalogue of Sanskrit & Prakrit Manuscripts, Pt. XI (Appendix) 527 श्री आदिनाथनउ आदेस मांगी, सरस्वती परमेश्वरीनी वाणी तेहथी सम्यक्त्वनी निर्मलता प्राणी शीलना गुणगाइवानी प्रतिज्ञा करइ । गीतार्थ त्रिभुवनस्वामिनी श्री सिद्धान्तनी अधिष्ठाइका तेहनी साखिइ प्रापणा आत्मानइ सीख दीजइ। आत्मा आराम कहीयइ पारामनी परिइं मनोहर शील पालउ । शील नई प्रमाणि परभाणं मोक्ष हुइ । इम श्रीपुण्यनन्दि महोपाध्याय पभणइ । x Closing : सीलपभाव ए भाविय स सण तं सुदंसणं सिद्ध । किविलानिव देवोहिं. अखोभियं नमह निच्चपि ।।९४।। समणे सहस्स चउरासीए पारण पुन्न जु कोइ । सुकिल किमण पखि दंपति, भोजनी ते खल होइ ॥२८॥ कच्छदेसि विजयश्रेष्ठि विजया भार्या श्रावक बेवइ बालब्रह्मचारी ....... 2047/7110 (3) षष्टिशतकप्रकरण-बालावबोधसहित Opening : ।। ॐ नमो जिनाय ।। सयल......"जिणं पणमिऊण भावेण । बालाणबोहणत्थं पयउं विवरेमि सट्ठिसयं ॥१॥ इहां श्रीखरतरगच्छि निरुपणगुणनिधान श्रीजिनवल्भसूरिनइ पाटि श्रीजिनदत्तसूरि, तेहनइ पाटि श्रीजिनचन्द्रसूरि, तत्पट्टालंकारधीजिनपतिसूरि श्रीपत्तननगर मांहि विजयवंत वर्तई। इसइ प्रस्तावि मरदेशमंडन मरोटि नगरि श्री नेमिचन्द्र भंडारी भार्या .......... मिरिण पुत्र आंबड सहित सुखिइ वसइ अन्यदा प्रस्तावि गाथा एक नेमिचन्द्र भंडारीइ सांभलि वखाण मांहि । ते किसी ? प्रखंडियचारित्तो वयगहणा उजो भवे निच्चं । तस्स सगासे दंसरण वयगहण सोहिगहिणं व ॥१॥ ए उक्त भांगानी विचार गाथा सांभलीनइ पालोअपनी इच्छाई बार वरस सीम सुगुरुनी परीक्षा जोअत्तउ-जोप्रतउ पत्तन नगरि प्राव्यउ । सघली पोसालइ द्रव्य क्षेत्र काल भावनइ मेलि गुरु अणलहतउ, मन मांहि चिंता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648