Book Title: Samyag Darshan Ki Vidhi
Author(s): Jayesh Mohanlal Sheth
Publisher: Shailendra Punamchand Shah

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Page 3
________________ अनुक्रमणिका क्रम विषय mo 39 १ लेखक के हृदयोद्गार ... २ पूर्वभूमिका ... ... ... ३ सम्यग्दर्शन ४ द्रव्य-गुण व्यवस्था ... .... ५ द्रव्य-पर्याय व्यवस्था ... ... ... ६ उत्पाद-व्यय-ध्रुवरूप व्यवस्था ... ... ... ७ दृष्टि भेद से भेद ... ... ... ... ८ पंचाध्यायी पूर्वार्द्ध की वस्तु व्यवस्था दर्शाते श्लोक ... ९ सम्यग्दर्शन का स्वरूप ... ... ... ... ... १० सम्यग्दर्शन का विषय अर्थात् दृष्टि का विषय ... ... ११ पंचाध्यायी पूर्वार्द्ध के सम्यग्दर्शन का विषय दर्शाते श्लोक ... १२ आत्मज्ञान रूप स्वात्मानुभूति परोक्ष या प्रत्यक्ष ... ... १३ स्वात्मानुभूति आत्मा के किस प्रदेश में ? ... ... ... १४ इन्द्रिय ज्ञान ज्ञान नहीं? ... ... ... ... १५ पर्याय परम पारिणामिक भाव की ही बनी हुई है... १६ स्वभाव पर्याय और विभाव पर्याय ... ... १७ नव तत्त्व की सच्ची श्रद्धा का स्वरूप... .... १८ सम्यग्दर्शन का लक्षण... ... ... ... १९ सम्यग्दृष्टि को भोग बन्ध का कारण नहीं ... २० निमित्त-उपादान की स्पष्टता ... २१ उपयोग और लब्धि रूप सम्यग्दर्शन २२ स्वानुभूति रहित श्रद्धा ... ... २३ सम्यग्दृष्टि जीव का निर्विचिकित्सा गुण ... २४ सम्यग्दर्शन के लिये योग्यता... ... ... २५ शुभोपयोग निर्जरा का कारण नहीं ... ... २६ सम्यग्दर्शन बिना द्रव्य चारित्र ... ... २७ स्वपर विषय का उपयोग करनेवाला भी आत्म ज्ञानी होता है ... ... : :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: : ... १३६

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