Book Title: Samyag Darshan Ki Vidhi
Author(s): Jayesh Mohanlal Sheth
Publisher: Shailendra Punamchand Shah

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Page 241
________________ मैत्री भावना - सर्व जीवों के प्रति मैत्री चिन्तवन करना, मेरा कोई दुश्मन ही नहीं ऐसा चिन्तवन करना, सर्व जीवों का हित चाहना। प्रमोद भावना - उपकारी तथा गुणी जीवों के प्रति, गुण के प्रति, वीतरागधर्म के प्रति प्रमोदभाव लाना। करुणा भावना - अधर्मी जीवों के प्रति, विपरीत धर्मी जीवों के प्रति, अनार्य जीवों के प्रति करुणाभाव रखना। मध्यस्थ भावना - विरोधियों के प्रति मध्यस्थभाव रखना। roo - मुखपृष्ठ की समझ - अपने जीवन में सम्यग्दर्शन का सूर्योदय हो और उसके फलरूप अव्याबाध सुखस्वरूप सिद्ध अवस्था की प्राप्ति हो, यही भावना। PRINTED BOOK If undelivered please return to : Shailesh Punamchand Shah 402, Parijat, Swami Samarth Marg (Hanuman Cross Road No.2), Vile Parle (E), Mumbai - 400 057

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