Book Title: Nayadhammakahao
Author(s): Jinshasan Aradhana Trust
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 147
________________ नायाधम्मक हाओ ॥ एक्कारसमं अज्झयणं ॥ (96) जइ णं भंते! समणेणं दसमस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते एक्कारसमस्स के अट्ठे पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं २ रायगिहे जाव गोयमे एवं वयासी - कैहं णं भंते ! जीवा आराहगा वा विराहगा वा भवंति ? गोयमा ! से जहानामए एगंसि समुहकूलंसि दावद्दवा नामं रुक्खा पन्नत्ता किण्हा जाव निउरंबभूया पत्तिया पुप्फिया फलिया हरियगरेरिज्जमाणा सिरीए अईव उवसोभेमाणा २ चिट्ठति । जया णं दीविचगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति तयाणं बहवे दावद्दवा रुक्खा पत्तिया जाव चिट्ठति । अप्पेगइया दावहवा रुक्खा जुण्णा झोडा परिसडियपंडुपत्तपुप्फफला सुकरुक्खओ विव मिलायमाणा २ चिट्ठति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा २ जाव पव्वइए समाणे बहूणं समणाणं ४ सम्मं सहइ जाव अहियासेइ बहूणं अन्नउत्थियाणं बहूणं गिहत्थाणं नो सम्मं सहइ जाव नो अहियासेइ एस णं मए पुरिसे देसविराहए पन्नत्ते समणाउसो ! जया णं सामुहगा ईर्सि पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति तयाणं बहवे दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा जाव मिलायमाणा २ चिट्ठति । अप्पेगइया दावद्दवा रुक्खा पत्तिया पुफिया जाव उवसोभेमाणा २ चिट्ठति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा २ जाव पव्वइए समाणे बहूणं अन्नउत्थियगिहत्थाणं सम्मं सहइ बहूणं समणाणं ४ नो सम्मं सहइ एस णं मए पुरिसे देसाराहए पन्नत्ते समणाउसो ! जया णं नो दीविचगा नो सामुद्दगा ईसिं पच्छावाया जाव महावाया वायंति तया णं सव्वे दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा । एवामेव समणाउसो ! जाव पव्वइए समाणे बहूणं समणाणं ४ बहूणं अन्नउत्थियगिहत्थाणं नो सम्मं सहइ एस णं मए पुरिसे सव्वविराहए पन्नत्ते समणाउसो । जया णं दीविच्चगा वि सामुद्दगा वि ईसिं जाव वायंति तया णं सव्वे दावहवा पत्तिया जाव चिट्ठति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं पव्वइए समाणे बहूणं समणाणं ४ बहूणं अन्नउत्थियगिहत्थाणं सम्मं सहइ एस णं मए 1 134 [1.96

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