Book Title: Nayadhammakahao
Author(s): Jinshasan Aradhana Trust
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 219
________________ 206 . नायाधम्मकहाओ PXVI1.138गंधेणं बिलाओ निद्धावई उरगो ॥६॥ तित्तकडुयं कसायं अंबिर महुरं बहुखजपेजलेझेसु । आसायंमि उ गिद्धा रमंति जिभिदियवसट्टा ॥७॥ जिभिदियदुहंतत्तणस्स अह एतिओ हवइ दोसो । जं गललग्गुक्खित्तो फुरइ थलविरेलिओ मच्छो ॥८॥ उउभयमाणसुहेहि य सविभवहिययमणनिव्वुइकरेहिं । फासेसु रनमागा रमंति फासिंदियवसट्टा ॥९॥ फासिंदियदुइंतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं खणइ मत्थय कुंजरस्स लोहंकुसो तिक्खो ॥१०॥ कलरिभियमहुरवंतीतलतालवंसकउहाभिरामेसु । सहेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ॥११॥ थणजहणवयणकरचरणनयणगव्वियविलासियगईसु । रूवेसु जे न रत्ता वसट्टमरणं न ते मरए ॥१२॥ अगरवरपवरधूवणउउयमल्लाणुलेवणविहीसु । गंधेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ॥१३॥ तित्तकडुयं कसायं महुरंबबहुखजपेजलेज्झेसु । आसायंमि न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ॥१४॥ उउभयमाणसुहेसु य सविभवहिययमणनिव्वुइकरेसु । फासेसु जे न गिद्धा वसहमरणं न ते मरए ॥१५॥ सद्देसु य भद्दयपावएसु सोयविसयं उवागएसु । तुटेण व रुटेण व समणेण सया न होयव्वं ॥१६॥ रूवेसु य भहयपावएसु चक्खुविसयं उवगएसु । तुटेण व रुटेण व समणेण सया न होयव्वं ॥१७॥ गंधेसु य भहयपावएसु घाणविसयमुवगएसु । तुटेण व रुटेण व समणेण सया न होयव्वं ॥१८॥ रसेसु य भहयपावएसु जिन्भविसयमुवगएसु । तुटेण व रुटेण व समणेण सया न होयव्वं ॥१९॥ फासेसु य भयपावएसु कायविसयमुवगएसु । तुटेण व रुटेण व समणेण सया न होयव्वं ॥२०॥ एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तरसमस नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते तिबेमि । ॥ सत्तरसमं नायज्झयणं समत्तं ॥१७॥ - -

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