Book Title: Nayadhammakahao
Author(s): Jinshasan Aradhana Trust
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 218
________________ -XVII.138] नायाधम्म हाओ पोयवहणे संचरिति २ तणस्स य कस्स य जाव भरेंति । तए णं ते संजुत्ता दक्खिणाणुकूलेणं वारणं जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छति २ पोयवहणं लंबेति २ ते आसे उत्तारेंति २ जेणेव हत्थिसीसे नयरे जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छंति २ करयल जाव वद्धावेंति ते आसे उवर्णेति । तए णं से कणगकेऊ तेसिं संजुत्तावाणियगाणं उस्सुक्कं वियरइ २ सकारेइ संमाणेइ २ पडिविसज्जेइ । तए णं से कणगकेऊ कोटुंबियपुरिसे सहावेइ २ सकारेइ संमाणेइ २ पडिविसब्बे । तणं से कणगकेऊ राया आसमद्दए सहावेइ २ एवं वयासी - तुन्भे णं देवाणुप्पिया ! मम आसे विणएह । तए णं ते आसमद्दगा तहत्ति पडिसुर्णेति २ ते आसे बहूहिं मुहबंधेहि य कण्णबंधेहि य नासा बंधेहि य वालबंधेहि य खुरबंधेहि य कडगबंधेहि य खलिणबंधेहि य अहिलाणबंधेहि य पडियाणेहि य अंकणाहि र्यं वित्तप्पहारेहि य लयप्पहारेहि य कसप्पहारेहि य छिवप्पहारेहि य विजयंति कणगकेउस्स रन्नो उवर्णेति । तणं से कण ते आसमद्दए सकारेइ २ पडिविसज्जेइ । तए णं ते आसा बहूहिं मुहबंधेहि य जाव छिर्वापहारेहि य बहूणि सारीरमाणसाई दुक्खाई पार्वेति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा पव्वइए समाणे इट्ठेसु सहफरिसरसरूवगंधेसु सज्जइ रज्जई गिज्झइ मुज्झइ अज्झोषवञ्चइ से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं जाव सावियाणं हीलणिज्जे जाव अणुपरियैदृइ । 205 (गाहा ):- कलरिभियमहुरतं तीतलतालवंसकउँदा भिरामेसु । ससु रज्जमाणा रमंति सोइंदियवसट्टा ||१|| सोइंदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । दीविगरुयमसहंतो वहबंधं तित्तिरो पत्तो ॥ २॥ थणजहणवयणकरचरणनयणगव्वियविलासियगएसु । रूवेसु रज्जमाणा रमंति चक्खिदियवसट्टा ॥३॥ चक्खिदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं जलगंमि जलंते पडइ पयंगो अबुद्धीओ ||४|| अगरुवरपवरधूवणउउय मल्लाणुलेवणविधीसु । गंधेसु रत्नमाणा रमंति घाणिदियवसट्टा ॥५॥ घार्णिदियदुइंतचणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं ओसहि

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