Book Title: Moksh marg prakashak
Author(s): Todarmal Pandit
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

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Page 8
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates सातवाँ अधिकार [ जैन मिथ्यादृष्टियोंका विवेचन ] निश्चयाभासी मिथ्यादृष्टि निश्चयाभासीकी स्वच्छन्दता और उसका निषेध केवल निश्चयाभासके अवलम्बी जीवकी प्रवृत्ति व्यवहाराभासी मिथ्यादृष्टि कुलअपेक्षा धर्मधारक व्यवहाराभासी परीक्षारहित आज्ञानुसारी धर्मधारक व्यवहाराभासी सांसारिक प्रयोजनार्थ धर्मधारक व्यवहाराभासी उक्त व्यवहाराभासी धर्मधारकोंकी सामान्य प्रवृत्ति धर्मबुद्धिसे धर्मधारक व्यवहाराभासी सम्यग्दर्शन का अन्यथारूप देवभक्तिका अन्यथारूप २२१, गुरुभक्तिका अन्यथारूप २२३, शास्त्रभक्तिका अन्यथारूप २२३, सप्ततत्त्वका अन्यथारूप २२४ : जीव-अजीवतत्त्वका अन्यथारूप २२५, आस्रवतत्त्वका अन्यथारूप २२६, बन्धतत्त्वका अन्यथारूप २२७, संवरतत्त्वका अन्यथारूप २२७ : गुप्ति २२८, समिति २२८, धर्म २२८, अनुप्रेक्षा २२९, परीषहजय २२९, चारित्र २२९ निर्जरातत्त्वका अन्यथारूप २३०, मोक्षतत्त्वका अन्यथारूप २३३ सम्यग्ज्ञानका अन्यथारूप सम्यक्चारित्रका अन्यथारूप उभयाभासी मिथ्यादृष्टि सम्यक्त्वसन्मुख मिथ्यादृष्टि पाँच लब्धियोंका स्वरूप Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com १९३ - २१३ २०० २०६ २१३ - २४८ २१४ २१५ २१८ २२० २२९ २२१ २३४ २३८ २४८ - २५७ २५७ - २६१ २६७

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