Book Title: Kesariyaji Tirth Ka Itihas
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 92
________________ ( ५६ ) श्रीमान् सम्राट महोदयने परवाना लिख सूरिजी महाराज के पास भेजा जिस का हाल धीरवीर शिरोमणि महाराणाधिराज प्रतापसिंहजी को मालूम होने पर आपने अनुमोदनापूर्ण एक परवाना सूरिजी महाराज के नाम लिख भेजा था, जिस की नकल भी पाठकों के सामने है । देखिये " स्वस्ति श्री मगमृदा नगर महाशुभस्थाने सरव श्रपमालायक भट्टारकजी महाराज श्रीहीरविजयसूरिजी चरणकमलाrea स्वस्ति श्रीविजय कटक चांवड म....श सुथाने महाराणा(धी ) राज श्रीराणा परताबसिंहजी ली० पगेलागणो बंचसी अठारा समाचार भला है परा सदा भला चाहिजे याप बडा है पुजनीक है सदा करपा राखे जीसुं शेष्ठ रखावेगा अच ave us ari दिना मांही आयो नही सो करपा कर लिखावेगा श्रीबडा हजूर के बखत पधारवो हुवो जींसमे अठा सुं पाछा पधारतां पादशाह अकबरजीने जैनाबाद में ग्यानरो प्रतिबोध दीदो जीरो चमत्कार मोटो बतायो जीवहिंसा चुर खलो तथा नाम पंखेरू की बेती सो माफ कराई जीरो मोटो उपकार की दो सो श्रीजैनरा गर में आप अस्याहीज ( उद्योत ) उद्योतकारी बार इसमे देखतां आपहुं फेरवे नही आखी पुरव हिन्दुस्थान अंतरवेद गुजरात सुदां चारों ही देशा में धरमरो बडो उद्घोत ( उद्योत ) कर देखायो जठा पाछे आप को पधारणो वो नही सो कारण कंइ-वेगा पधारसी जागासुं पटा परवाना कारण दस्तुर माफीक आपरे है जी माफीक

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