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गुणानुवाद प्रकरण.
श्रीकेसरियानाथजी का तीर्थ श्वेताम्बरीय होने के बहुत से प्रमाण तो पहले बता चुके हैं लेकिन श्वेताम्बर समाज के धनिक श्रावक संघ निकाल कर इस तीर्थ की यात्रा करने आये हैं, जिस का वर्णन भी कई जगह मिलता है । और ज्यौं ज्यौं तलाश की जाय पता लगता रहेगा। हमने इस विषय में ज्यादे खोज नहीं की, तथापि जो जो प्रमाण हमें प्राप्त हुवे है उन को हम यहां बता देना चाहते हैं ।
(१) सम्वत् १७४२ में आसपुरनिवासी शेठ भीमाजी पोरवाड संघ लेकर धूलेव में आये, और पूजन केसर चन्दन से की व कस्तुरी आदि का विलेपन किया और चम्पा-मोगराजाई-जूई-गुलाब के पुष्प धारण कराये और दोनो वख्त याने